Uttarakhand board topper: उत्तराखण्ड के तीसरे टापर बनें दीपक, संयुक्त रूप से हासिल किया तीसरा स्थान..
उत्तराखण्ड बोर्ड ने आज हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया है। उत्तराखण्ड बोर्ड द्वारा आज घोषित परीक्षा परिणाम काफी शानदार रहा। इस वर्ष इंटरमीडिएट में 80.26 विद्यार्थी पास हुए जबकि हाईस्कूल में 76.91 फीसदी परीक्षार्थियों ने सफलता के शिखर को छुआ। मैदानी क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं के साथ-साथ पहाड़ के नौनिहालों का परीक्षा परिणाम भी काफी शानदार रहा। पहाड़ में चाय की दुकान चलाने वाले के बेटे ने भी 12वीं में 475 अंक हासिल कर पूरे प्रदेश में संयुक्त रूप से तीसरा स्थान हासिल किया। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत के रहने वाले दीपक सती की, जो उत्तराखण्ड बोर्ड द्वारा घोषित इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणामों में 95 फीसदी अंकों के साथ प्रदेश के तीसरे टापर (Uttarakhand board topper) बनें। बता दें कि दीपक ने हाईस्कूल में भी मेरिट सूची में जगह बनाई थी। उनके पिता रानीखेत में चाय की दुकान चलाते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि दीपक ने अभी तक किसी भी विषय की ट्यूशन नहीं ली है। दीपक की अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं क्षेत्रवासियों में भी खुशी की लहर है।
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भविष्य में प्रशासनिक अधिकारी बन देश की सेवा करना चाहते हैं दीपक, हाईस्कूल में भी पाया था मेरिट में नौवां स्थान:- प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत निवासी राजन सती बीते कई वर्षों से डाकघर के पास चाय की दुकान चलाते हैं। राजन के पुत्र दीपक सती ने इस बार के 12वीं के परीक्षा परिणामों में 95 फीसदी अंक हासिल कर पूरे प्रदेश में संयुक्त रूप से तीसरा स्थान हासिल किया है। राजन का कहना है कि यह दीपक द्वारा लगातार की गई मेहनत का नतीजा है। सुबह शाम घर पर पढ़ाई कर उसनेे यह मुकाम हासिल किया है। बता दें कि राजन की बेटी दीपांजलि सती ने भी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणामों में मेरिट सूची में जगह बनाई थी। उन्होंने प्रदेश के टाप टेन में अपना स्थान पक्का किया था। बताते चलें कि हमेशा पढ़ाई को तव्वजो देने वाले दीपक ने हाईस्कूल में भी प्रदेश में नौवां स्थान हासिल किया था। प्रदेश के तीसरे टापर दीपक का सपना भविष्य में प्रशासनिक अधिकारी बनकर देशसेवा करने का है। दीपक ने अपनी इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया है।
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