indian army image: पैतृक गांव पहुंचा शहीद देवेन्द्र सिंह राणा का पार्थिव शरीर, मुख्यमंत्री ने अर्पित की अंतिम श्रद्धांजलि…
सीमा पर मां भारती की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान अर्पित करने वाले राज्य के वीर जवान सपूत हवलदार देवेंद्र सिंह राणा का पार्थिव शरीर आज सुबह सेना के हेलीकॉप्टर से गुप्तकाशी स्थित चारधाम हेलीपैड पर पहुंच गया था। जिसके बाद शहीद जवान के पार्थिव शरीर को उनके गांव ले जाया गया। बताया गया है कि परिवार के अंतिम दर्शनों के बाद शहीद जवान का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ मंदाकिनी के तट पर भीरी स्थित पैतृक घाट पर किया जाएगा। बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी गुप्तकाशी पहुंचकर शहीद जवान को अपनी सरकार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद देवेन्द्र का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, सरकार शहीदों के परिजनों के साथ हर वक्त खड़ी हैं। हैलीपेड पर सेना के जवानों ने मातमी धुन बजाकर देश के इस वीर सपूत को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। बताते चलें कि 39 वर्षीय शहीद देवेन्द्र अपने पीछे माता-पिता, छोटे भाई और पत्नी के साथ भरा-पूरा परिवार छोड़ कर गए हैं। उनकी एक बेटी उनकी बेटी आंचल व बेटा आयुष केंद्रीय विद्यालय रायवाला में पढ़ते हैं। दोनों का ही रो-रोकर बुरा हाल है।
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एक खास मिशन पर जा रहा हूं, उसे पूरा करने के बाद तुमसे बात करूंगा:-
यही वो अंतिम शब्द थे शहीद देवेन्द्र सिंह राणा ने बीते 3 अप्रैल को अपनी पत्नी विनिता से हुई अंतिम बातचीत के दौरान कहें थे और इसके बाद वे फोन कट कर आतंकवादियों से लोहा लेने के लिए कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर की ओर रवाना हो गए। शहीद देवेन्द्र की पत्नी इन्हीं शब्दों को याद कर घुट-घुटकर रो रही है। आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं लेकिन सामने मौजूद दोनों बच्चों का मासूम चेहरा उन्हें खुलकर रोने भी नहीं दे रहा। विरांगना विनिता एक ही बात दोहराई जा रही है कि “मिशन तो उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, पांच आतंकवादी भी मार गिराए लेकिन फिर भी उनका फोन नहीं आया।” गौरतलब है कि राज्य के रूद्रप्रयाग जिले के बसुकेदार तहसील के ग्राम तिनसोली निवासी हवलदार देवेंद्र सिंह राणा अपने चार अन्य साथियों सहित जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए हैं। बताते चलें कि शहीद देवेंद्र का परिवार देहरादून जिले के छिद्दरवाला में किराये के मकान पर रहता है। उनकी 14 वर्षीय बेटी आंचल व 12 वर्षीय बेटा आयुष केंद्रीय विद्यालय रायवाला में पढ़ते हैं। शहीद के पिता भूपाल सिंह राणा, मां कुंवरी देवी व छोटा भाई गांव में ही रहते हैं, देवेन्द्र की शहादत की खबर को सुनकर सभी बेसुध पड़े हैं।
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