केशपुर गांव के मयंक बने परमाणु वैज्ञानिक, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (Bhabha Atomic Research Center)में हुआ चयन..
विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर देश-विदेश में समूचे उत्तराखण्ड का गौरव बढ़ा रहे राज्य के प्रतिभाशाली युवा आज किसी भी परिचय के मोहताज नहीं है। देवभूमि उत्तराखंड के ऐसे होनहार युवाओं ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभाओं का ऐसा जलवा बिखेरा है कि जहां राज्यवासी उनकी प्रशंसा करते नहीं थकते वहीं देशवासियों को भी कई बार राज्य के ऐसे होनहार युवाओं की तारीफ करते हुए सुना जाता है। आज हम आपको राज्य के एक ऐसे ही प्रतिभावान युवा से रूबरू करा रहे हैं जिनका चयन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (Bhabha Atomic Research Center) मुंबई में परमाणु वैज्ञानिक के पद पर हुआ है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के चमोली जिले के केशपुर गांव निवासी मयंक गौड़ की, जो परमाणु वैज्ञानिक के पद पर चयनित हो गए हैं। मयंक की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिजन काफी खुश हैं वहीं पूरे क्षेत्र में हर्षोल्लास का माहौल है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि मयंक ने अपनी इस सफलता से न केवल क्षेत्र और जिले का नाम रोशन किया है बल्कि समूचे प्रदेश को भी गौरवान्वित किया है।
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वर्तमान में आइआइटी रोपड़ से मैकेनिकल इंजीनियरिग में एमटेक कर रहे हैं मयंक, परिजनों को दिया सफलता का श्रेय:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के नारायणबगड़ के ग्राम पंचायत मनौड़ा के केशपुर गांव निवासी मयंक गौड़ का चयन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई में परमाणु वैज्ञानिक के पद पर हो गया है। बता दें कि मात्र 22 वर्ष की उम्र में यह अभूतपूर्व सफलता हासिल करने वाले मयंक के पिता भरत प्रसाद गौड़ एवं माता शकुंतला गौड़ दोनों ही राजकीय इंटर कॉलेज भगवती में प्रवक्ता के रूप में तैनात हैं। वर्तमान में आइआइटी रोपड़ से मैकेनिकल इंजीनियरिग में एमटेक कर रहे मयंक ने कक्षा आठ तक की शिक्षा नारायणबगड़ से ही प्राप्त की, तत्पश्चात उन्होंने देहरादून के मार्शल स्कूल से 2012 में हाईस्कूल की उत्तीर्ण की तथा 2014 में समरवैली से इंटरमीडिएट करने के बाद गोविद बल्लभ पंत इंजीनियरिग कॉलेज पौड़ी से मैकेनिकल इंजीनियरिग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की। बताते चलें कि अपनी इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, नाना रामचंद्र मनौड़़ी को देने वाले मयंक का कहना है कि बचपन से ही उनका सपना कुछ नई खोज करने का था, जो परमाणु वैज्ञानिक बनने के बाद अब पूरा हो जाएगा।
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