Angad Bisht biography Hindi: रुद्रप्रयाग के अंगद बिष्ट डॉक्टर बनकर करना चाहते थे लोगों की सेवा लेकिन अब MMA फाइटर बनकर विदेशी भूमि पर लहरा रहे भारत का तिरंगा………
Angad Bisht biography Hindi: उत्तराखंड के युवाओं मे प्रतिभा और हुनर की कोई कमी नहीं है यह जिस भी क्षेत्र में जाते हैं वहां पर अपनी काबिलियत का परचम लहरा कर आते है। सभी युवाओं का सपना होता है कि उन्हें कुछ ऐसा बड़ा मुकाम हासिल करना है जिसके जरिए उन्हें अधिक लोगों के बीच एक विशिष्ट पहचान मिल सके लेकिन यह सपना तभी पूरा हो सकता है जब आपके भीतर कुछ कर गुजरने का दृढ़संकल्प और जुनून बरकरार हो। ऐसी कुछ रोचक कहानी है मूल रूप से उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के चिंग्वाड गांव के रहने वाले अंगद बिष्ट की, जिन्हें बनना तो डॉक्टर था लेकिन उनकी किस्मत उन्हें फाइटर बनाना चाहती थी और वह भी एक ऐसा एमएमए फाइटर जो विदेशी धरती मे जाकर अपने देश का तिरंगा लहरा सके इसके साथ ही अपने राज्य के साथ- साथ अपने देश का भी मान बढ़ा सके। दरअसल रुद्रप्रयाग के रहने वाले अंगद बिस्ट एक बेहद ही मध्यमवर्गीय परिवार से तालुक रखते हैं उनके पिता मोहन मिठाई की दुकान चलाते है।
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आपको बता दें मूल रूप से रुद्रप्रयाग जनपद के चिंग्वाड गांव के रहने वाले अंगद का बचपन से सपना था कि वह डॉक्टर बने और लोगों की सेवा करें जिसके लिए उन्होंने राजधानी देहरादून मे मेडिकल की शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोचिंग ज्वाइन की और इसी के साथ जिम जाना भी शुरू किया उन्होंने मेडिकल डेंटल सर्जरी के लिए परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली थी और साथ ही उन्हें पंतनगर मेडिकल कॉलेज में सीट भी मिल गई। जिसके चलते अंगद ने मेडिकल की शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपना मन बना चुका था लेकिन तभी उन्हें इस बात का आभास हुआ कि उन्हें डॉक्टर नहीं बल्कि एक फाइटर बनना है। इसके लिए अंगद ने फाइटर बनने के शुरुआती दौर में अपने घरवालों को MMA के बारे मे कुछ नही बताया बल्कि उन्होंने अपने घर पर मेडिकल की कोचिंग दोबारा करने की बात कही जिस पर उनके परिजन मान गए लेकिन इस दौरान उनकी रुचि जिम तथा फिटनेस की तरफ बढ़ने लगी । ऐसा मानो की यहीं से अंगद को मिक्स्ड मार्शल आर्ट फाइटर बनने का ख्याल आया या फिर ऐसा समझो की उनके इस खूबसूरत से सफर की शुरुआत यहीं से शुरू हुई। उन्होंने दिल्ली जाने के पश्चात पार्ट टाइम जॉब की तथा अपनी पहली अमचेर फाइट बिना किसी को बताए लड़ी। उस लडाई के दौरान अंगद चोटिल भी हुए लेकिन फिर भी उन्होंने उस फाइट मे जीत हासिल की इसके बाद उनका हौसला और अधिक बढ़ा और उन्होंने बेंगलुरु व मुंबई में मिक्स्ड मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग लेना शुरू किया।
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देहरादून में चलाते हैं एमएमए एकेडमी:-
उत्तराखंड के एमएमए फाइटर अंगद बिष्ट युवाओं को प्रतिभाशाली बनाने के लिए देहरादून में एमएमए की एकेडमी चलाते हैं जहां पर कोचिंग लेने के लिए अंगद के पास देशभर से युवा फाइटर आते हैं। उनका कहना है कि पहाड़ के युवाओं का स्टैमिना और बॉडी स्ट्रक्चर काफी मजबूत होता है जिसके लिए उन्हें सिर्फ एक अच्छी कोचिंग और एक बेहतरीन प्रयास की जरूरत है। इसके साथ ही अंगद अपने जैसे कई एथलीट को तैयार कर रहे हैं जिनके पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है बस उन्हें जरूरत है तो एक मार्गदर्शक की। अंगद से वर्तमान में लगभग 60 से अधिक उत्तराखंड के युवा ट्रेनिंग ले रहे हैं। इतना ही नहीं वह युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी है उनका कहना है कि उत्तराखंड के हर युवा की सोच आर्मी और पुलिस की भर्ती तक ही सीमित रहती है अगर वह वहां भर्ती नहीं होते हैं तो फिर वह सोचना बंद कर देते हैं या कोई छोटा-मोटा काम करने लगते हैं लेकिन ऐसा नही है युवा अपना करियर इस फील्ड मे भी बना सकते हैं।
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आपको बता दें उत्तराखंड के लाल अंगद बिष्ट ने वर्ष 2018 में सुपर फाइट लीग जीती थी जिसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने ब्रेव कॉम्बैट फेडरेशन फाइट में जीत हासिल की है। इसके साथ ही उन्होंने 2021 मे मैट्रिक्स फाइट नाइट जीती तथा दुबई में आयोजित फर्स्ट फ्लाइवेट चैंपियनशिप में भी जीत हासिल की और अब वर्ष 2024 में वर्तमान में चीन के शंघाई में चल रहे रोड टू यूफसी के नाकआउट मुकाबले में जीत हासिल कर सेमी फाइनल में अपनी जगह बनाई है।