उत्तराखण्ड के वीर सपूत की शहादत की खबर से ही जहाँ समूचे प्रदेश में शोक की लहर है वही राहुल रैंसवाल के घर में भी पत्नी बेसुध है तो बड़े भाई सहित अन्य परिजन गहरे सदमे में है। बता दें कि बीते नवंबर माह में राहुल छुट्टियों पर अपने घर आया था। हंसी-खुशी उनकी छुट्टियां कब बीत गई परिवार को पता ही नहीं चला। छुट्टियां खत्म होने पर राहुल अपने परिजनों से जल्दी घर आने का वादा करके गया था लेकिन ना तो उसे पता था कि वह इतनी जल्दी आ जाएगा और ना ही परिजनों को इस बात की आंशका थी कि अब घर पर राहुल नहीं बल्कि उसका पार्थिव शरीर आएगा। रोते-रोते परिजन राहुल के साथ बिताए हुए पलों को याद कर रहे हैं। राहुल अपने परिजनों से ही वादा करके नहीं गया था अपितु उसने एक वादा अपनी धर्मपत्नी से भी किया था कि वह उसके भाई की शादी में जरूर आएगा लेकिन राहुल की शहादत ने ने सिर्फ वादों को तोड़ा अपितु हंसते-खेलते परिवार की खुशियों और सपनो को भी तोड दिया।
पति के शहादत की खबर लगते ही पत्नी मेरठ से चम्पावत को हुई रवाना-
गौरतलब है कि राज्य के चम्पावत जिले के तल्लादेश के रियासीबमन गांव निवासी एवं वर्तमान में जीआईसी के पास कनलगाव में रहने वाले राहुल रैंसवाल 2012 में भारतीय सेना की 18 कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह सेना की 50 राष्ट्रीय राइफल्स में थे उनकी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में थी। बीते सात नवंबर को छुट्टी खत्म कर ड्यूटी में जाते समय राहुल पत्नी से वादा कर के गया था कि वह अपने साले की शादी में जरूर आएगा और इसके लिए राहुल की पत्नी प्रीति देवी पहले ही मेरठ अपने भाई के घर पहुंच चुकी थी। बता दें कि राहुल के साले की शादी आगामी 9 फरवरी को होने वाली थी। पति की शहादत की खबर सुनते ही जहां उनकी पत्नी मेरठ से चम्पावत को रवाना हो गई वहीं राहुल के बड़े भाई भी लखनऊ से पहाड़ को निकल पड़े। बताते चलें कि राहुल की शादी 2017 में हुई थी। शादी के बाद राहुल और हरू की जोड़ी काफी खुश थी लेकिन हरू को क्या पता था कि शादी के दो साल बाद ही उसका सुहाग उजड़ जाएगा। राहुल अपने पीछे एक आठ-दस माह की बेटी को भी छोड़कर गया है।
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तीन पीढ़ियों से देश की सेवा कर रहा राहुल का परिवार, आज पहुंच सकता है पार्थिव शरीर:- बता दें कि शहीद राहुल रैंसवाल का परिवार बीती तीन पीढ़ियों से देश की सेवा कर रहा है। राहुल का बड़ा भाई जहां राजेश रैंसवाल 2009 से फौज में है और इस वक़्त 15 कुमाऊं में लखनऊ में तैनात है। वहीं राहुल के पिता वीरेंद्र सिंह रैंसवाल भी भारतीय सेना की असम राइफल्स में नायक रह चुके हैं और राहुल के दादा स्व शिवराज सिंह रैंसवाल भी 5 कुमाऊं में रहकर देश सेवा कर चुके हैं। बताते चलें कि राहुल 2012 में भारतीय सेना की 18 कुमाऊं में भर्ती हुए थे। उनकी पहली तैनाती अरूणाचल प्रदेश में हुई थी। शहीद राहुल का पार्थिव शरीर आज उत्तराखंड आने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि प्रशासन द्वारा अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सेना के सूत्रों के अनुसार दोपहर तीन बजे तक शहीद का पार्थिव शरीर चंपावत में उनके घर पर लाया जा सकता है।
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