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Uttarakhand news: Humanity shamed, ambulance drivers asked for 10,000 poor relatives, for Haldwani to pati. Haldwani news uttarakhand

उत्तराखण्ड

चम्पावत

उत्तराखंड: एंबुलेंस चालकों ने मांगे 10000 रुपए तो मैक्स की छत पर पहाड़ ले जाना पड़ा शिक्षक का शव

Haldwani news uttarakhand: गरीबी के आगे बेबस हुए मृतक शिक्षक के परिजन, महज 130 किमी के लिए एंबुलेंस चालकों ने मांगे दस हजार, रूपये ना होने के कारण टैक्सी की छत पर बांधकर हल्द्वानी से पाटी ले जाना पड़ा शव…

भले ही आज हम 21वीं सदी के वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं परन्तु क‌ई बार ऐसा लगता है कि इस आधुनिक समय से तो पुराना समय ही सही था, जहां लोग एक दूसरे की पीड़ा को समझते थे। आज कल तो आए दिन मानवता को शर्मशार करने वाले खबरें लगातार सुनने को मिलती रहती है जिसको देखते हुए यही लगता है कि आज कल के इंसान के लिए पैसा ही सब कुछ है। मानवता को शर्मशार करने वाली ऐसी ही एक खबर आज उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी तहसील क्षेत्र से सामने आ रही है जहां सड़क हादसे में मृत शिक्षक के शव को घर ले जाने के लिए परिजनों को एंबुलेंस तक नसीब नहीं हुई। जो एंबुलेंस मिली उनके दाम इतने ज्यादा थे कि परिजन इसे सुनकर न केवल बेबस नजर आए बल्कि खुद की गरीबी को भी कोसते रहे। थक हारकर आखिरकार परिजन टैक्सी (मैक्स) की छत पर बांधकर शव को घर ले आए।
(Haldwani news uttarakhand)
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महज 130 किमी के लिए एंबुलेंस चालकों ने मांगे दस हजार रूपए, बेबस परिवार ने गरीबी के आगे जोड़ लिए हाथ:

अभी तक मिल रही जानकारी के मुताबिक मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले के पाटी तहसील क्षेत्र के चौड़ा मेहता निवासी बलदेव प्रसाद चम्पावत के एक निजी स्कूल में शिक्षक थे। बीते रोज वह चोरगलिया में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार के यहां आए थे। बताया गया है कि उनका हल्द्वानी के एक निजी स्कूल में इंटरव्यू था, परंतु जैसे ही वह अपनी बाइक से चोरगलिया से हल्द्वानी की ओर जा रहे थे तो बीच रास्ते में उनकी बाइक को एक तेज रफ्तार कार ने भीषण टक्कर मार दी। जिससे जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। जिस पर उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में भर्ती कराया गया जहां उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड दिया।(Haldwani news uttarakhand)
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बता दें कि मौत की खबर मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस विभाग की टीम ने जैसे ही शिक्षक का शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा तो परिजन शव को घर ले जाने के लिए वाहनों के जुगाड़ में लग गए। पहले उन्होंने एंबुलेंस चालकों से बात की, कोई भी चंपावत जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। जो चालक तैयार हुए, उन्होंने दस हजार रुपये मांगे और परिजनों द्वारा कमजोर आर्थिक स्थिति की दुहाई देने पर एक हजार रूपए की बात की। लेकिन गरीब परिजनों के लिए यह धनराशि भी काफी अधिक थी। जिस पर उन्होंने चंपावत जाने वाली टैक्सी की छत में शव को ले जाने का फैसला किया। टैक्सी स्टैंड पहुंचकर उन्होंने एक टैक्सी को पोस्टमार्टम हाउस के बाहर बुलाया और मृतक के शव को चादर में लपेटकर टैक्सी की छत पर बांध दिया। हल्द्वानी से 130 किमी दूर पाटी विकासखण्ड तक इस तरह शव ले जाना कितना मुश्किल है इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि भीमताल लोहाघाट सड़क पर जगह जगह इतने गड्डे है कि वाहन के अंदर बैठा हुआ यात्री भी पूरे सफर में एक पल के लिए भी आराम से नहीं बैठ पाता, ऊपर से चौमास के मौसम में बारिश का डर अलग। मानवता को शर्मशार करने वाली इस हृदयविदारक खबर की जितनी भी निंदा की जाए वो कम है।
(Haldwani news uttarakhand)

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