जोशीमठ: 4 हजार में किसका चूल्हा जलेगा साहब कहते ही फफक फफक कर रो पड़ी महिला
पाताल में समाने की कगार पर खड़े जोशीमठ की खौफनाक तस्वीरों ने जहां स्थानीय वाशिंदों की नींद उड़ाई हुई है वहीं अब शासन प्रशासन भी स्थानीय लोगों के विस्थापन प्रक्रिया को शुरू करने की दिशा में अपने कदम बढ़ा चुका है। बीते दिनों देहरादून सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित हुई हाई लेवल मीटिंग के बाद उत्तराखंड सरकार द्वारा जोशीमठ में भू धंसाव के कारण विस्थापित परिवारों को मकान किराये के लिए 4 हजार रूपये प्रति माह की दर से 6 माह तक दिये जाने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से राशि स्वीकृत की गई है। अर्थात विस्थापित परिवारों को आगामी छह माह तक 4000 रूपए प्रति परिवार की दर से मुआवजा मकान किराए के रूप में प्रतिमाह दिया जाएगा।
इस संबंध में आदेश भी जारी हो गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 4 हजार रुपए में किसका चूल्हा जलेगा साहब क्योंकि इसमें कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका जोशीमठ में अपना स्वरोजगार था अब घर तो छीन ही गया और साथ में रोजगार भी ऐसे में घर के साथ ही अब दो वक्त की रोटी का भी संकट खड़ा हो गया। सबसे खास बात तो यह कि इसमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके अपने जानवर भी हैं तो उनका कहना है कि हम तो चले जाएंगे लेकिन अपनी गाय भैंसों को कहा ले जाएंगे उनका क्या होगा।
आपको बता दें कि उत्तराखंड शासन द्वारा जारी इस आदेश में कहा गया है कि नगर पालिका क्षेत्र जोशीमठ के अंर्तगत विगत दिनों से हो रहे भूधसाव से प्रभावित ऐसे परिवार जिनके मकान क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण रहने योग्य नहीं है अथवा ऐसे परिवार जो बेघर हो गये हैं, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर किराये के मकान में अस्थायी रूप से विस्थापित किया जाएगा। ऐसे परिवारों को मकान किराए के रूप में रूपए 4000 प्रति परिवार की दर से 6 माह के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से ₹1.00 करोड़ (एक करोड मात्र ) की धनराशि स्वीकृत की जाती है। इसके लिए जिलाधिकारी चमोली को अधिकार दिए गए है कि उनके द्वारा पीड़ित परिवारों को किराए मद में उक्त धनराशि का भुगतान प्रतिमाह किया जाएगा। इस संबंध में सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत सिन्हा ने का कहना है कि नियमानुसार जिला प्रशासन ने भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 4 हजार रुपए में किसका चूल्हा जलेगा साहब क्योंकि इसमें कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका जोशीमठ में अपना स्वरोजगार था अब घर तो छीन ही गया और साथ में रोजगार भी ऐसे में घर के साथ ही अब दो वक्त की रोटी का भी संकट खड़ा हो गया