आखिर वो पिता क्यों न टूटे जो अपने कलेजे के टुकड़े का इंतजार घर शादी में आने के लिए कर रहे हो और उसकी शहादत की खबर आ जाए। कोई कितना भी दिल से मजबूत क्यों न हो लेकिन ऐसी घटनाएं हृदय को झकझोर कर रख ही देती है। हम बात कर रहे है, राजौरी आईईडी ब्लास्ट में शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के पिता एसएस बिष्ट की जो खुद एक दबंग पुलिस इंस्पेक्टर रह चुके है और एक से बढ़कर एक सीरियस केस अपनी जिंदगी में सुलझाए लेकिन आज दुखो का ऐसा पहाड़ टूट पड़ा की खुद टूट गए। वो आज भी उन्ही बातो को दोहरा रहे है की “काश एक बार मेरी सुन लेता”। ऑपरेशन में जाने से पहले पिता ने शादी का हवाला देकर हेडक्वार्टर में ही रहने की नसीहत दी। लेकिन बेटे चित्रेश ने वर्दी का फर्ज निभाने को बात अनसुनी कर फोन मां को देने के लिए कह दिया। वो कहते है एक बात बार बार मेरे जेहन में आती है की “मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया , फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हो गया।” जिंदगी की ये कैसी विडंबना है ” जिस बेटे को सेहरे में सजा देखने की हमेसा इच्छा रही उसी को आज तिरंगे में लिपटा पाया।”
बता दे की मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील के अंतर्गत पीपली ग्राम निवासी मेजर चित्रेश बिष्ट जम्मू कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में 21जीआर में तैनात थे। वो यहाँ इंजीनियरिंग विभाग में मेजर के पद पर कार्यरत थे। मेजर चित्रेश भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से वर्ष 2010 में पासआउट हुए थे। वर्तमान में वह सेना की इंजीनियरिंग कोर में थे। गौरतलब है की जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर राजोरी जिले के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान की बार्डर एक्शन टीम (बैट) की ओर से बिछाई गई आईईडी को डिफ्यूज करते समय हुए विस्फोट में सेना के मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए थे।
शुक्रवार को शहीदों के परिजनों से मिलीं राज्यपाल : जहाँ अनेक जन प्रतिनिधि शहीदों के घर जाकर अपनी संवेदना व्यक्त कर रहे है , वही राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने शुक्रवार को कश्मीर में शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट के आवास पर जाकर उनके परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने परिवार के सदस्यों को अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं।