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उत्तराखण्ड: कड़ाके की ठंड में गेहूं के खेत में पड़ा मिला नवजात शिशु, अस्पताल में भर्ती

uttarakhand: अमानवीय कृत्य के कारण एक बार फिर कंलकित हुई मां की ममता और देवभूमि की छवि..alt="new born baby in uttarakhand"

देवभूमि उत्तराखंड (devbhoomi uttarakhand), जिसको देवताओं और ऋषि-मुनियों की पवित्र भूमि माना जाता है, जिसकी पावनता का गुणगान वेदों और पुराणों में भी मिलता है, जिसके कण-कण में देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। लेकिन अब इस पावन धरती पर ऐसी-ऐसी शर्मनाक घटनाएं सामने आ रही है जिसे सुनकर कोई भी इसे देवभूमि कहना तो दूर सुनना भी पसंद नहीं करेगा। आए दिन ऐसी शर्मनाक घटनाओं से न सिर्फ उत्तराखण्ड (uttarakhand) की पावन धरती कलंकित हो रही बल्कि मानवता को भी शर्मशार कर रही है। आज फिर मानवता को शर्मशार करने वाली एक ऐसी ही घटना राज्य(uttarakhand) के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर से आ रही है जहां आज सुबह एक नवजात बच्चा मंदिर के पास गेंहू के खेत में पड़ा हुआ मिला है। हृदय को झकझोर कर रख देनी वाली यह इस तरह की कोई पहली घटना नहीं है बल्कि अब तो इस तरह की घटनाएं जहां देवभूमि के मैदानी इलाकों में आम हो चुकी है वहीं पहाड़ी भूभाग भी इससे अछूता नहीं है। अभी कुछ दिनों पहले ही नैनीताल के सात नम्बर क्षेत्र से एक नवजात बच्ची नग्नावस्था में नाले में पड़ी हुई मिली थी। इस तरह के अमानवीय कृत्य करने वाले लोग ना सिर्फ मां और बच्चे के पवित्र रिश्ते को बदनाम कर रहे है बल्कि मां की ममता को भी कलंकित कर रहे हैं।


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पैदा होते ही फेंक दिया गेहूं के खेत में, बच्चे के पेट पर गर्भनाल भी थी मौजूद:- प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर के श्यामपुर मोहल्ले के हरिशंकर मंदिर के पास से गुजरते हुए राहगीरों को एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। बहुत देर तक जब बच्चे का रोना बंद नहीं हुआ तो वहां मौजूद लोगों के कदम खुद-ब-खुद उस ओर चल पड़े जहां से बच्चे के रोने की आवाज आ रही थी। जैसे ही वह उस खेत के पास पहुंचे तो ऐसा लगा जैसे उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई हो। कड़ाके की इस ठंड में सुबह-सुबह एक मासूम नवजात बच्चा खेत के बीचों-बीच में कपड़े में लिपटा हुआ पड़ा था और उसके पेट पर गर्भनाल अभी भी मौजूद थीं। ऐसा हृदयविदारक दृश्य देखकर वहां मौजूद सभी लोगों में इस कृत्य के खिलाफ जहाँ आक्रोश था वहीं नन्ही सी जान के लिए सहानुभूति भी। निर्दयी मां-बाप को बुरा-भला कहते हुए राहगीरों में से प्रदीप और उसकी पत्नी दीपा ने बच्चे को गोद में उठाकर तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां बच्चे की तमाम जांचें करने के बाद चिकित्सकों का कहना था कि नवजात पूरी तरह स्वस्थ हैं एवं जन्म के एक से दो घंटे के भीतर ही बच्चे को गेहूं के खेत में फेंका गया होगा। फिलहाल बच्चे को अस्पताल में ही स्टाफ की देखरेख में रखा गया है।


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