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निकिता पंत बनी चम्पावत जिले की सीबीएसई 10वीं की संयुक्त टॉपर, भारतीय सेना में है जाने का लक्ष्य

Champawat CBSE 10th Topper: सीबीएसई 10वीं के परीक्षा परिणामों में निकिता पन्त ने उत्तराखंड में हासिल किया सातवां स्थान, साथ ही चम्पावत जिले की टॉपर भी बनी..

सीबीएसई द्वारा बीते मंगलवार को घोषित हाईस्कूल के परीक्षा परिणामों में उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं ने अव्वल दर्जे का प्रदर्शन किया है। सच कहें तो हर बार की तरह इस बार भी परीक्षा परिणामों में छात्राओं ने बाजी मारी है। वैसे भी देवभूमि उत्तराखंड की बेटियां आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। बात अगर राज्य के पर्वतीय जनपदों करें तो यहां भी पहाड़ की बेटियां पीछे नहीं है। उत्तराखंड में संयुक्त रूप से सातवां स्थान पाने वाली निकिता पंत पहाड़ की उन्हीं होनहार बेटियों में से एक है। बता दें कि निकिता ने सिर्फ उत्तराखण्ड की सातवीं टॉपर है बल्कि वह चम्पावत जिले की भी टॉपर है। निकिता ने परीक्षा परिणामों में 492 अंक हासिल कर हर्षित पाटनी के साथ संयुक्त रूप से चम्पावत जिला टॉप (Champawat CBSE 10th Topper) किया है। निकिता की अभूतपूर्व सफलता से जहां उनके परिजन काफी खुश हैं वहीं पूरे क्षेत्र में हर्षोल्लास का माहौल है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि निकिता ने अपनी इस सफलता से अपने माता-पिता तथा विद्यालय के साथ ही समूचे जिले का नाम भी राज्य में रोशन कर दिया है।
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सेना में अफसर बनकर भारत माता की सेवा करना चाहती है निकिता, पिता भी रह चुके हैं सेना का हिस्सा:-
बता दें 492 अंक प्राप्त कर संयुक्त रूप से चम्पावत जिला टॉप करने वाली निकिता का लक्ष्य भविष्य में भारतीय सेना में अफसर बनने का है। पिता को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाली निकिता का कहना है कि वह सेना में अफसर बनकर मातृभूमि की सेवा करना चाहती है। बताते चलें कि चम्पावत जिले के लोहाघाट निवासी निकिता पन्त दयानंद आर्य विद्यालय (डीएवी) की छात्रा है। उनके पिता प्रकाश चन्द्र पन्त भी सेना से रिटायर्ड है और वर्तमान में भारतीय रेलवे में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जबकि उनकी मां सुनीता पंत एक कुशल गृहिणी है। संयुक्त रूप से जिला टॉप करने वाली निकिता ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ ही गुरूजनो को दिया है। उनका कहना है कि उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत के साथ ही माता-पिता और गुरुजनों के आशीर्वाद से ही उन्हें यह उपलब्धि हासिल हुई। निकिता बताती है कि वह स्कूल के अलावा घर पर रोजाना पांच सौ छः घंटे पढ़ाई करती थी और इसी को उन्होंने अपनी सफलता का मूलमंत्र भी बताया है।

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