Haldwani Wali Aunty: मूल रूप से बागेश्वर जिले की रहने वाली हैं राशि, पिथौरागढ़ में है ससुराल, पति सेना में है तैनात, राशि इस तरह उतार रही मातृभूमि और मातृभाषा का कर्ज….
आज सोशल मीडिया न केवल हुनरमंद प्रतिभाओं को एक मंच प्रदान कर रहा है बल्कि यह सभ्यता एवं संस्कृति को प्रचारित प्रसारित करने के साथ ही उन्हें सहेजने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बात अगर उत्तराखण्ड की ही करें तो भी यहां के हुनरमंद वाशिंदे सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी पहाड़ी बोली, सभ्यता एवं संस्कृति को सहेजने में अपना योगदान दे रहे हैं। आज हम आपको कुमाऊं मंडल की एक ऐसी ही हुनरमंद महिला से रूबरू कराने जा रहे हैं जो अब ‘हल्द्वानी की आंटी‘ के नाम से मशहूर हो गई है। जी हां… हम बात कर रहे हैं राज्य के नैनीताल जिले के हल्द्वानी तहसील क्षेत्र में रहने वाली राशि जोशी की ,जिनका यूट्यूब पर हल्द्वानी की आंटी नाम से चैनल है। वह अपने चैनल पर कुमाऊनी भाषा में हंसी मजाक के वीडियो अपलोड करती है जिन्हें लोगों का खूब ज्यादा प्यार मिल रहा है। कुल मिलाकर वह इस चैनल के माध्यम से न केवल कामेडी कर लोगों को गुदगुदा रही है बल्कि उन्हें कुमाऊनी भाषा से जोड़ने का भी प्रयास कर रही है।
(Haldwani Wali Aunty)
आपको बता दें कि वर्तमान में हल्द्वानी में रहने वाली राशि जोशी मूल रूप से राज्य के बागेश्वर जिले की रहने वाली है। उनका ससुराल पिथौरागढ़ जिले में है और उनके पति गिरीश जोशी भारतीय सेना में कर्नल के पद पर कार्यरत है। बताते चलें कि राशि ने मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म की पढ़ाई करने के उपरांत कुछ समय तक प्राइवेट नौकरी भी की परंतु शादी के बाद परिवार को उन्होंने अपनी पहली प्राथमिकता समझते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। जिसके बाद ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कार्य करना शुरू किया। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो को लोगों द्वारा कितना पसंद किया जा रहा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके 73 हजार से अधिक फालोवर्स है। यूट्यूब के साथ ही वह इंस्टाग्राम के माध्यम से भी माजाकिया अंदाज में उत्तराखंड की बोली भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए राशि जोशी लगातार काम कर रही है। राशि प्रतिदिन दो से तीन वीडियो अपलोड करती है जिन्हें लोगों द्वारा खासा पसंद किया जाता है।
(Haldwani Wali Aunty)
अपने इस सराहनीय कार्य के बारे में वह कहती हैं कि हंसने के साथ ही लोगों तक हमारी बोली भाषा और संस्कृति का संदेश पहुंचे और लोग उन्हें अपनाये, यही उनका मुख्य उद्देश्य है। वह कहती हैं कि वर्तमान समय में बच्चों को अंग्रेजी भाषा की ओर धकेला जा रहा लेकिन वहीं बच्चे पहाड़ी बोलना तो दूर समझना भी नहीं जानते है। वह कहती हैं कि अपने बच्चों को अंग्रेजी भाषा जरूर सिखाए परंतु इसके लिए पहाड़ी बोली को हाशिए पर ना धकेला जाए। वह आगे कहती हैं कि अपने बच्चों को पहाड़ी बोली भाषा और हमारी संस्कृति के संस्कार जरूर दें। अपने इसी उद्देश्य के तहत वह पहाड़ी बोली एवं सभ्यता संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रही है।(Haldwani Wali Aunty)