पद्म श्री (Padam Shri) पुरस्कार के लिए नामित हुई सामाजिक कार्यों के लिए हमेशा प्रतिबद्ध एवं मानवता की सेवा को ही अपना परम कर्तव्य मानने वाली रीता गहतोड़ी, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी छेड़ी है लड़ाई..
हमारे समाज में ऐसे व्यक्तियों की कोई कमी नहीं है जो दूसरों की सेवा को अपना परम कर्तव्य समझते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्तमान मोदी सरकार ने ऐसे लोगों को पहचान एवं उनके सराहनीय कार्यों को आम लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से पद्म पुरस्कारों को आम जनमानस को भी देने की घोषणा की थी। यही कारण है कि अब तक जहां ऐसी हस्तियां केवल एक छोटे से क्षेत्र तक ही सीमित हो जाती है वहीं बीते वर्षों में हमने उन्हें पद्म पुरस्कारों से सम्मानित होते हुए भी देखा है। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही मशहूर हस्ती से रूबरू कराने जा रहे हैं जो न केवल 14 वर्ष की उम्र से सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ रही है बल्कि हमेशा गरीब एवं असहाय लोगों के साथ खड़ी भी रहती है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले की रहने वाली रीता गहतोड़ी की, जिनका नाम चम्पावत जिला प्रशासन की ओर से पद्म श्री (Padam Shri) पुरस्कार के लिए गृहमंत्रालय को भेजा गया है। विदित हो कि सामाजिक कार्यों के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहने वाली रीता को इससे पूर्व राज्य सरकार द्वारा तीलू रौतेली पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। यह भी पढ़ें- केन्द्र सरकार ने किया पद्म पुरस्कारों का ऐलान, देवभूमि उत्तराखंड से तीन विभूतियों के नाम
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले के लोहाघाट के चांदमारी की रहने वाली रीता गहतोड़ी का नाम चम्पावत जिला प्रशासन द्वारा पद्म श्री पुरस्कार (Padam Shri) के लिए गृहमंत्रालय को भेजा गया है। बता दें कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए बाल विकास विभाग चम्पावत द्वारा ब्रांड अम्बेसडर बनाई गई रीता सबसे पहले 2008 में उस समय सुर्खियों में आई थी जब उन्होंने शादी के बाद न्याय पाने की आस लगाए पिथौरागढ़ पहुंची अफगान महिला शाबरा की मदद कर उन्हें मेंटिनेंस दिलाने की लंबी लड़ाई लड़ी और उसका हक दिलाया था। इसके उपरांत वर्ष 2012 में सामाजिक रूढ़ियां तोड़ते हुए अपने स्व. पिता हीरा बल्लभ गहतोड़ी की अर्थी को कंधा देने के साथ ही उन्हें मुखाग्नि देकर भी खूब सुर्खियां बटोरी थी। इतना ही नहीं वह अब तक करीब 250 लोगों की शव यात्रा में शामिल हो चुकी हैं। यहां तक कि चिता के अंतिम क्रिया कर्म तक वे परिवारजनों के साथ अंतिम समय श्मसान में रुकी रहती हैं। इतना ही नहीं वह अब तक छः से अधिक शहीद जवानों की शव यात्रा में भी सम्मिलित हो चुकी हैं। यह भी पढ़ें- एक परिचय एक मिशाल जिन्दगी की जंग से उभरकर पद्मश्री तक का सफर “जागर गायिका बसंती बिष्ट”
बता दें कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 26 जनवरी को दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों के लिए गृहमंत्रालय की ओर से देश के सभी जिला प्रशासन से सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करने वाले आम जनमानस के नाम मांगे जाते हैं। इनमें ऐसे लोग भी सम्मिलित हैं जिन्होंने अपने सराहनीय कार्यों से समाज को एक नई दिशा दी हों। बीते वर्ष तक चम्पावत जिला प्रशासन की ओर से इसकी सूचना शून्य बताकर गृहमंत्रालय को भेज दी जाती थी परंतु इस बार रीता गहतोड़ी ने पद्म श्री पुरस्कार के लिए आवेदन किया था। आवेदन पत्र प्राप्त होने पर जिलाधिकारी ने पुलिस व स्थानीय प्रशासन से इसकी वैधता की जांच कराई। तत्पश्चात जांच में सही पाए जाने पर रीता गहतोड़ी का नाम प्रशासन द्वारा संस्तुति करते हुए गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है। अब अगर उन्हें पद्म श्री पुरस्कार मिलता है तो यह न केवल चम्पावत जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी बल्कि इससे समूचे उत्तराखंड का मान भी बढ़ेगा। बताते चलें कि वर्तमान में किशोर न्याय बोर्ड और कोविड टास्क फोर्स की सदस्य रीता को इससे पूर्व वर्ष 2013 में तीलू रौतेली पुरस्कार से एवं वर्ष 2014 में महिला समाख्या की ओर से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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