Atlas Moth in uttarakhand: एटलश मौथ को जाना जाता है एंपरर ऑफ डार्कनेस के नाम से भी, जाने इसके बारे में खास…
उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र न केवल अथाह वन संपदा एव जड़ी बूटियों के धनी हैं बल्कि यहां जीव जंतुओं एवं पक्षियों की भी कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती है। ऐसी ही एक खबर आज राज्य के पिथौरागढ़ जिले से सामने आ रही है जहां विश्व में पाई जाने वाली सबसे बड़ी मौथ में से एक एटलश मौथ मिली है। इसे एंपरर ऑफ डार्कनेस भी कहा जाता है। बताया गया है कि इनकी उम्र 20 से 25 दिन तक होती है। इसके पंखों की सतह 124 इंच होती है जबकि पंखों का फैलाव 24 सेमी तक होता है। यह अपने अंडे जहां नींबू, अमरूद और दालचीनी के पौधों पर देती है वहीं इसके लार्वा से 12 इंच लबाई की एक तेज गंध स्प्रे होती है जो छिपकलियों और चींटी से इसकी रक्षा करती है। मौथ की यह प्रजाति वन विभाग के सहयोग से नेशनल मौथ सप्ताह की शुरुआत के दौरान मिली है।
(Atlas Moth in uttarakhand)
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आपको बता दें कि दुर्लभ तितलियों में शामिल एटलस मौथ के दोनों पंखों के किनारे पर कोबरा के सिर जैसी आकृति बनी होती है। जो परभक्षियों से इसकी रक्षा करती हैं। सबसे खास बात तो यह है कि एटलस मौथ कुछ खाती पीती नहीं है क्योंकि इसका मुंह नहीं होता है। जीव वैज्ञानिकों के मुताबिक इनके कोकून से रेशम निकलता है जिससे पर्स, टाई और शर्ट आदि बनाए जाते हैं। बताते चलें कि विश्व में मौथ की 16 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमें से 10 हजार प्रजातियां भारत में हैं। एटलस मौथ इनकी दुर्लभ प्रजातियों में शामिल हैं।
(Atlas Moth in uttarakhand)
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