कविता – मां शब्द की क्या ही परिभाषा दूं …….भावना मेहरा (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन )
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जय हिन्दी जय हिन्दुस्तान मेरा भारत देश महान, हिंदी भाषा सरल सुबोध आर्यावर्त के ओत-प्रोत जय...
वृक्ष लगाएं फर्ज निभाएं,,,,,,,,,,, स्वरचित,,,,, धरा में हरियाली फैलाएं एक नहीं सौ वृक्ष लगाएं हरी-भरी ये...
जब भी थक जाती हूं माँ तुझको ही मैं पाती हूँ माँ बिखर पड़ी जो जमी...
हम जीना भूल गए अपनों के साथ पल भर बैठना भूल गए एक दूसरे से बाते...
फैशन का दौर….. पहाड़ लोगों के लिए पुराने हो गए नए फैशन के लोग दीवाने हो...
श्रेष्ठ कुछ सोचा है स्वप्न कुछ रचा है संभव सब करना है, तो………….. ज़िद जरूरी है।...