बागेश्वर जिले के सरकारी अस्पताल की असुविधाओं से परेशान होकर दो चिकित्सकों ने दिया इस्तीफा
बंता दें कि सर्जन जोशी इससे पहले दिल्ली के एक प्रसिद्ध अस्पताल ‘राम मनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली’ में कार्य कर चुके हैं। जिला अस्पताल के निश्चेतक डॉक्टर एचसी भट्ट का भी ऐसा ही कहना है। निश्चेतक पद पर डा• भट्ट की नियुक्ति जून 2018 में हुई थी। इससे पहले वे प्रसिद्ध मैक्स अस्पताल मुम्बई में कार्य कर चुके हैं। दोनों ही डॉक्टरों ने अपने इस्तीफे स्वास्थ्य महानिदेशक को भेज दिए है। सर्जन डॉ जोशी के अनुसार अस्पताल केवल रेफर सेंटर बन कर रह गया है। हमें हर एक मरीज को यहां से मजबूरन हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है। जिससे हमें बड़ा दुःख होता है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं कितनी बार इसके लिए शासन को पत्र लिख चुके हैं। परन्तु शासन से भी उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। अस्पताल में डॉक्टरों के लिए क्वाटर की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है, जिससे उन्हें अस्पताल से काफी दूर कमरा लेकर रहना पड़ता है और आपातकालीन स्थिति में रात को उतनी दूर से आना पड़ता है।
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इस्तीफों से पूरी तरह अनजान हैं स्वास्थ्य महकमा
स्वास्थ्य विभाग इतनी संवेदनशील घटना से अनजान होने का वादा कर रहा है। बागेश्वर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जेसी मंडल के अनुसार उन्हें अभी तक चिकित्सकों के इस्तीफे की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि जो भी कमी होगी उसे पूरा किया जायेगा। इससे भी बड़ी खास बात यह है कि सरकारी सिस्टम इसे लगातार नजरअंदाज करता आ रहा है। डॉक्टरों के द्वारा अस्पतालों में असुविधाओं तथा मशीनों एवं उपकरणों के लिए लिखे पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। लिहाजा डॉक्टर अपने पदों से इस्तीफा देने को मजबूर हैं जो कि सरकारी मशीनरी के लिए बड़े ही शर्म की बात है। लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए सदैव तत्पर का नारा देने वाला उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग भी इससे अनजान हैं।