गश्त पर निकले डीएसपी ने ठंड से ठिठुरते भिखारी (Manish Mishra) को देख दिखाई दरियादिली, पता चला वह रह चुका है उन्हीं के बैच का पुलिस अधिकारी(Police Officer)..
वक्त कब किस तरह करवट लेकर पलट जाए इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। यह वक्त ही जो किसी राजा को रंक बना सकता है। समय बदल जाए तो किसी भिखारी को भी राजा बनने में देर नहीं लगती। ऐसा ही कुछ वाकया बीते दस नवंबर की रात को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उस समय देखने को मिला जब रात को डीएसपी रत्नेश तोमर और विजय भदौरिया गश्त पर निकले थे। इसी दौरान उन्हें झांसी रोड पर बंधक वाटिका के पास एक भिखारी कचरा बिनते हुए दिखाई दिया। दोनों ने पास जाकर देखा तो भिखारी ठंड से ठिठुर रहा था। दोनों अधिकारियों ने मानवता दिखाते हुए उसकी मदद की। इस दौरान जहां रत्नेश ने अपने जूते भिखारी को दिए वहीं डीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने अपनी जैकेट भिखारी को दे दी। यहां तक तो सब सही था लेकिन इसके बाद जो हुआ उसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। हुआ यूं कि भिखारी ने डीएसपी भदौरिया को उनके नाम से पुकारकर धन्यवाद दिया। पूछने पर उन्हें पता चला कि इस समय भिखारी के रूप में उनके सामने खड़ा शख्स उन्हीं के बैच का एसआई मनीष मिश्रा(Manish Mishra) था, पुलिस अधिकारी (Police Officer) मनीष मानसिक स्थिति खराब होने के कारण इस हाल में पहुंचा था।
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मानसिक स्थिति खराब होने के कारण दर-दर भटकने को मजबूर हैं मनीष, रह चुके हैं अचूक निशानेबाज भी, साथी बैचमेट को इस हाल में देख डीएसपी नहीं रोक पाए आंखों से आंसू:-
बता दें कि एसआई मनीष मिश्रा मध्य प्रदेश के 1999 बैच के पुलिस अधिकारी हैं जो एक समय अचूक निशानेबाज भी थे। 2005 तक मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में नौकरी करने वाले सब इंस्पेक्टर मनीष की आखिरी तैनाती दतिया जिले में थी जहां वह बतौर थाना प्रभारी पोस्टेड थे। इसी दौरान उनकी मानसिक स्थिति अचानक इतनी बिगड़ गई कि उन्हें नौकरी तक छोड़नी पड़ी। पांच साल तक मनीष घर पर ही रहें, इस दौरान उनके परिजनों ने मनीष का विभिन्न अस्पतालों में इलाज करवाया परंतु उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। दिन-प्रतिदिन बिगड़ती हालत के बीच वह एक दिन सबकी आंखों से नजर बचाकर घर से भाग गए और दर-दर भटकने लगे। बताया गया है कि मनीष के पिता एवं चाचा एएसपी पद से रिटायर है जबकि मनीष के भाई उमेश मिश्रा निरीक्षक हैं। इतना ही नहीं परिवार के अन्य सदस्य भी ऊंची-ऊंची पोस्टों पर पदस्थ हैं। मनीष की मानसिक स्थिति बिगड़ने के बाद उनकी पत्नी ने भी उन्हें तलाक दे दिया, जो वर्तमान में न्यायिक सेवा में तैनात हैं। बताते चलें कि अपने बैचमेट को इस हाल में देखकर ग्वालियर के दोनों अधिकारियों विजय भदौरिया और रत्नेश तोमर अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक पाए। इस दौरान उन्होंने मनीष से खुद के साथ चलने की अपील भी की परंतु मनीष ने इन्कार कर दिया। तब दोनों अधिकारियों ने उन्हें सामाजिक संस्था के आश्रय स्थल स्वर्ग सदन भिजवाया, जहां उसकी देखरेख की जा रही है।
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