Leopard attack: साहस और निडरता से तेंदुए का सामना कर स्वयं के साथ ही बचाई बकरियों की जान…
वास्तव में पहाड़ के लोग पहाड़ जैसे ही धीर-गंभीर और साहसी होते हैं, पर्वतीय इलाकों में रहने वाले इन लोगों को आए दिन पहाड़ सी कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन ये इन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करते हैं जिसके उदाहरण आए-दिन हमें मिलते रहते हैं। आज फिर राज्य के पिथौरागढ़ जिले से एक ऐसी ही वीर, बहादुर एवं साहसी युवा की तस्वीर सामने आ रही है जिसने तेंदुए के साथ दो-दो हाथ कर न सिर्फ बकरियों के साथ ही स्वयं की जान भी बचाई बल्कि अपनी साहस और निडरता से तेंदुए को भी जंगल की ओर भागने के लिए मजबूर कर दिया। जी हां हम बात कर रहे हैं राज्य के पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले भुवन चंद्र भट्ट की, जिसने अपने साहस और बहादुरी के बलबूते एक तेंदुए को बकरियों को छोड़कर जंगल की ओर भागने को मजबूर कर दिया। हालांकि तेंदुए द्वारा किए गए हमले (Leopard attack) में उसे काफी चोटें भी आई परंतु फिर भी उसने हार नहीं मानी। तेंदुए के जंगल में भागने के पश्चात भुवन की आवाज सुनकर घटनास्थल में पहुंचे ग्रामीणों ने गम्भीर रूप से घायल भुवन को जिला अस्पताल में भर्ती कराया।
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तेंदुए के हमले से गम्भीर रूप से घायल हुआ भुवन, सिर में लगे हैं पांच टांके:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के पिथौरागढ़ जिले के भाटीगांव निवासी भुवन चंद्र भट्ट पुत्र भवानी दत्त भट्ट बीते शनिवार को रोजाना की तरह बकरियों को चराकर घर लौट रहा था। तभी अचानक रास्ते में पहले से घात लगाकर छिपे हुए तेंदुए ने बकरियों के चक्कर में उस पर हमला (Leopard attack) कर दिया। तेंदुए का हमला होते ही जहां हर कोई सहम जाता है वहां भुवन ने ऐसी परिस्थिति में भी अपनी साहस और बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए पहले तो बकरियों को दूर भगाकर उन्हें बचाया और फिर तेंदुए द्वारा किए गए हमले का सामना करने लगा। करीब पांच मिनट तक दराती और लकड़ियों से तेंदुए के साथ दो-दो हाथ करते हुए भुवन गम्भीर रूप से घायल हो गया परन्तु उसने अपना साहस नहीं छोड़ा और तेंदुए को जंगल की ओर भागने पर मजबूर कर दिया। भुवन की चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर घटनास्थल पर पहुंचे सुनील भट्ट और मुकेश भट्ट ने घायल भुवन को जिला अस्पताल पिथौरागढ़ पहुंचाया। बताया गया है कि तेंदुए के हमले से घायल भुवन के सिर पर पांच टांके लगे हैं जबकि उसके शरीर पर भी गम्भीर चोट लगी है।
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