Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day
Uttarakhand: Lansdowne will be known as new name 'Jaswantgarh' the name of martyr Jaswant. lansdowne new name Jaswantgarh

उत्तराखण्ड

पौड़ी गढ़वाल

उत्तराखंड: लैंसडाउन जाना जाएगा शहीद जसवंत के नाम से ‘जसवंतगढ़’, लोगों ने किया विरोध

lansdowne new name Jaswantgarh: भारत चीन युद्ध में शहीद जसवंत ने अकेले 300 चीनी सैनिकों को उतारा था मौत के घाट, भारतीय सेना ने शहीद जसवंत की बहादुरी, वीरता को सलाम करते हुए उन्हीं के नाम पर रखा है अरूणाचल प्रदेश चीन बार्डर पर स्थित चौकी का नाम…

भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स का छावनी सेंटर लैंसडाउन का नाम अब महावीर चक्र विजेता वीर सेनानी जसवंत सिंह के नाम से जाना जाएगा। जी हां.. इस संबंध में कैंट बोर्ड ने लैंसडौन का नाम बदल कर जसवंत गढ़ किए जाने संबंधी प्रस्ताव सेना मुख्यालय में भेजा है। यदि रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी मिल जाती है तो करीब 136 वर्ष बाद एक बार फिर इस इलाके का नाम बदल जाएगा। बता दें कि अंग्रेजों के आने से पूर्व इस इलाके को कालोडांडा के नाम से जाना जाता था। पांच मई 1887 के बाद तत्कालीन वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर इसे लैंसडौन के नाम से पहचाना जाने लगा। गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर के साथ ही पर्यटन के क्षेत्र में देश-विदेश में अपनी पहचान एक अद्वितीय पहचान बनाने के बाद एक बार फिर लैंसडौन का नाम बदलने की कवायद शुरू हो गई है।
(lansdowne new name Jaswantgarh)
यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: कांडा के डॉ. बीसी कर्नाटक बने पशुपालन विभाग के न‌ए निदेशक ग्रहण किया कार्यभार

इस संबंध में बीते 20 जून को कैंट बोर्ड ने सेना मुख्यालय को भेजे एक प्रस्ताव में लैंसडौन का नाम बदल कर जसवंत गढ़ करने की सिफारिश की है। हालांकि, इस प्रस्ताव में छावनी बोर्ड ने यह भी जिक्र किया है कि आम जनता लैंसडाउन का नाम बदलने के विरोध में है। खुद सत्ताधारी पार्टी भाजपा के क्षेत्रीय विधायक दिलीप सिंह रावत ने कहा, इसका विरोध जताया है उन्होंने कहा ‘‘लैंसडाउन वीरों की धरती और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. अगर नाम बदला गया तो इसकी पहचान खो जाएगी। पर्यटन यहां की आय का मुख्य साधन है और इसपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जन हित में इसके पुराने नाम को बनाए रखा जाना चाहिए। मैं जल्दी ही इस संबंध में एक प्रस्ताव सरकार को भेजूंगा।”
(lansdowne new name Jaswantgarh)

आपको बता दें कि महावीर चक्र विजेता वीर सेनानी जसवंत सिंह ने 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के दौरान अरूणाचल प्रदेश की नूरानांग चौकी पर अकेले ही तीन सौ से अधिक चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। उनके अदम्य साहस व वीरता को देखते हुए वीरगति प्राप्त करने के उपरांत भारतीय सेना ने न सिर्फ नूरानांग चैक पोस्ट को जसवंत गढ़ नाम दिया बल्कि वहां जसवंत सिंह के नाम से मंदिर बनाया, जहां उनसे जुड़ी चीजों को सुरक्षित रखा गया है। इतना ही नहीं भारतीय सेना द्वारा जसवंत सिंह को मरणोपरांत भी उन्हें सेवा में कार्यरत मानते हुए उन्हें वेतन एवं अन्य भत्ते दिए। माना जाता है कि वह आज भी नूरानांग चौकी पर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। बताते चलें कि 19 अगस्त 1941 को प्रखंड वीरोंखाल के अंतर्गत ग्राम बाडियूं में जन्मे जसवंत सिंह रावत गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट में बतौर राइफलमैन भर्ती हुए थे।
(lansdowne new name Jaswantgarh)

यह भी पढ़ें- नैनीताल: जिलाधिकारी वंदना ने दिए दस दिन के भीतर डीलरों को राशन उपलब्ध कराने के निर्देश

उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के WHATSAPP GROUP से जुडिए।

👉👉TWITTER पर जुडिए।

लेख शेयर करे

More in उत्तराखण्ड

Advertisement

UTTARAKHAND CINEMA

Advertisement Enter ad code here

PAHADI FOOD COLUMN

UTTARAKHAND GOVT JOBS

Advertisement Enter ad code here

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Advertisement Enter ad code here

Lates News

To Top