Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day
Bageshwar Kanda Chalk Mining
Bageshwar Kanda Chalk Mining -Image Source: social media

उत्तराखण्ड

बागेश्वर

बागेश्वर के कांडा में चाक खड़िया का खनन बन सकता है तबाही का बड़ा कारण….

Bageshwar Kanda Chalk Mining : बागेश्वर के कांडा इलाके में चाक (खड़िया) खनन के चलते कई घरों समेत मंदिर, खेत ,सड़कों पर आई दरारें, जोशीमठ जैसे बन सकते हैं हालात…

Bageshwar Kanda chalk Mining : उत्तराखंड एक ओर जहां अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड के ऐसे कई सारे पहाड़ी इलाके हैं जो प्राकृतिक आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माने जाते है। उन्हीं में से एक संवेदनशील जिला बागेश्वर भी है जहां पर बीते कुछ सालों में भूस्खलन और ग्लेशियर खिसकने जैसी घटनाएं घटित हुई है लेकिन इसके बाद भी प्रशासन इस पर ध्यान नहीं देता है। दरअसल बागेश्वर जिले में कुदरत ने चाक ( खड़िया) के रूप में खनिज संपदा का अकूत भंडार दिया है जिसके कारण प्रतिवर्ष हजारों टन खड़िया खोदकर मैदानी जिलों तक पहुंचाई जाती है। जिसका खामियाजा ग्रामीण लोगों को भुगतना पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें- जोशीमठ: मार्च में होनी है बेटी की शादी, मां बोली अब कैसे उठेगी पैतृक घर से बेटी की डोली

Kanda Chalk Mining News: बता दें उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कांडा इलाके में लंबे समय से चाक खड़िया खनन का कार्य चल रहा है जिसके कारण यहाँ के कई घरों समेत मंदिरो, खेतों और सड़कों में दरारें आनी शुरू हो चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि खनन के चलते इस इलाके की स्थिति गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जनपद स्थित जोशीमठ जैसी बन चुकी है। बावजूद इसके प्रशासन स्थानीय लोगों की समस्याओं को नजर अंदाज कर रहा है। कांडा में ऐसे कई सारे घर हैं जो दरारों की गश्त झेल रहे हैं।
यह भी पढ़ें- पिथौरागढ़ के इस गांव के 50 घरों में आ रही दरारें टनल विस्फोट बना कारण लोगों में दहशत का माहौल

बता दें कि कांडा गांव के बाची सिंह नगरकोटी का घर गहरी दरारों में झुक गया है। जिन्होंने अपने दो बेटों के लिए इस घर को फिर से बनाने में सारी पूंजी खर्च कर दी थी लेकिन आलम यह है कि घर के सामने फिर से दरारें आ गई है। जब चाक खड़िया खनन कार्य शुरू हुआ तो बाची और उनकी मां ने सोचा कि यह इलाके के लिए अच्छी बात है क्योंकि इस कार्य से लोग पैसे कमा रहे थे जिसके चलते बड़े पैमाने पर खनन कार्य हाथों से हो रहा था हालांकि अब इस कार्य में भारी मशीनों का इस्तेमाल होने लगा है जिससे ग्रामीणों को अपने घरों की सुरक्षा का खतरा मंडराने लगा है। जब भी बारिश होती है तो लोग सहम जाते है। जिसकी मुख्य वजह कहीं न कहीं लगातार पहाड़ी के ठीक नीचे हो रहा खनन है। जिसकी शिकायत करने पर बाची को प्रशासन ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि खनन उनके घर से बहुत दूर हो रहा है लेकिन वास्तव में कोई भी साफ तौर पर देख सकता है कि अनियंत्रित खनन के कारण पहाड़ी के बेसमेंट में बहुत ज्यादा छेड़छाड़ की गई है जिससे उनके घर के सामने की पहाड़ी पर भयानक दरारें आ गई है और पहाड़ का एक हिस्सा धीरे-धीरे खदान की ओर खिसक रहा है।
यह भी पढ़ें- चमोली: जोशीमठ में अब शिवलिंग में आई दरार किसी बड़े प्रलय के संकेत

कई पौराणिक मंदिरों पर भी मंडरा रहा खतरा:-

बागेश्वर के कांडा क्षेत्र मे लगातार हो रहे चाक खड़िया खनन के कारण ग्रामीणों के घरों को तो खतरा है ही बल्कि इस इलाके की पूरी सभ्यता पर भी खतरा मंडरा है । गांव का हजार साल पुराना बना कालिका मंदिर भी दरारों की मार झेल रहा है क्योंकि मंदिर से महज 50 मीटर की दूरी पर चाक खदान है और स्थानीय लोगों का दावा है कि मंदिर में भी इसी वजह से दरारें आई है। मंदिर समिति के अध्यक्ष पूर्व सैनिक रघुवीर सिंह माजिला का कहना है कि करीब हजार साल पहले नवरात्रि के दौरान कुछ स्थानीय लोगों की मृत्यु के कारण होने वाले अपशगुन से छुटकारा पाने के लिए तत्कालीन आदि गुरु शंकराचार्य ने गांव वालों से पशुओं की बलि देने के लिए किसी क्षत्रिय को आमंत्रित करने को कहा था लेकिन इस क्षेत्र के माजिला उसी व्यक्ति के वंशज हैं जिन्हें मुनस्यारी से पशु बलि के लिए आमंत्रित किया गया था।
यह भी पढ़ें- नैनीताल: दफन हो गया लोकप्रिय पर्यटक स्थल टिफिन टॉप, अब इतिहास बन गई डोरोथी सीट

बता दें कि वर्ष 2011 मे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया और यह मंदिर पूरे इलाके में एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन गया। जिसके कारण स्थानीय लोगों ने मंदिर के भक्तों के लिए छोटे-मोटे खाने – पीने के स्थान खोले जैसे ही दरारे दिखाई देने लगी तो स्थानीय लोगों ने खनन की शिकायत की लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। कई स्थानीय लोगों की आजीविका इस मंदिर में आने वाले भक्तों की आमद पर निर्भर करती है। जिन पर भी अब खतरा मंडराने लगा है। इसके लिए कई स्थानीय लोगों ने सरकार से पुनर्वास की मांग की है। बताते चलें बागेश्वर जिले में 1972 से खड़िया खनन हो रहा है जिसमें 99% नेपाली मजदूर काम कर रहे हैं जिला प्रशासन के पास पूरे जिले में कितने मजदूर काम कर रहे हैं इसकी अभी तक कोई जानकारी नहीं है।

यह भी पढ़ें- जोशीमठ: लोग बोले क्या हम भी सीता मां की तरह समा जाएंगे पाताल में पता नहीं कैसा होगा प्रलय

उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के WHATSAPP GROUP से जुडिए।

👉👉TWITTER पर जुडिए।

More in उत्तराखण्ड

UTTARAKHAND GOVT JOBS

Advertisement Enter ad code here

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Advertisement Enter ad code here

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top