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Uttarakhand news: Hanuman reached the village of Dronagiri Chamoli now the road will reach there

उत्तराखण्ड

चमोली

उत्तराखंड के जिस गांव में उड़कर पहुंचे थे संकटमोचक हनुमान, वहां अब पहुचेगी सड़क

Dronagiri Village Chamoli: द्रोणागिरी गांव में भोटिया जनजाति के 50 परिवार निवास करते हैं, वर्ष 2008 में 6.6 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण की मिली थी मंजूरी

उत्तराखंड में सड़क सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में लगातार प्रयास जारी हैं। शहरी जिलों के साथ-साथ सीमांत क्षेत्रों में सड़क सेवाओं को बेहतर बनाये जाने के प्रयास किए जा रहे हैं जी हां हम बात कर रहे हैं तिब्बत सीमा क्षेत्र के सबसे दूर गांव द्रोणागिरी(Dronagiri Village) की जहां अब सड़क निर्माण का कार्य शुरू होने जा रहा है। चमोली(Chamoli) जिले के अंतर्गत द्रोणागिरी गांव तिब्बत सीमा क्षेत्र का सबसे दूरस्थ गांव होने के साथ-साथ पुरानी मान्यताओं के साथ जुड़ा हुआ गांव है। मान्यता है कि इसी गांव से हनुमान जी संजीवनी बूटी पर्वत लेकर गए थे। बता दें कि ग्रामीणों की मांग पर शासन ने सड़क का विस्तार कर ढाई किलोमीटर सड़क के निर्माण की स्वीकृति दी है।
यह भी पढ़िए: उत्तराखंड: गांव में पहली बार पहुंची गाड़ी तो खुशी से झूम उठे ग्रामीण, तीन दशक से थी सड़क की मांग

प्राप्त जानकारी के अनुसार चमोली जिले के पौराणिक गांव द्रोणागिरी में सड़क निर्माण का कार्य शुरू होने जा रहा है बता दें कि यह वही गांव है जहां हनुमान जी उड़कर संजीवनी बूटी पर्वत लेने पहुंचे थे। वहां अब सड़क के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकेगा। सड़क निर्माण का कार्य शुरू होने के पश्चात गांव से सड़क की दूरी मात्र 4 किलोमीटर रह जाएगी। बताते चलें कि पहले 6 किलोमीटर की सड़क का निर्माण हो चुका है। लोक निर्माण विभाग का लक्ष्य गांव को सड़क से जोड़ने का है क्योंकि सड़क ना होने की वजह से पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। द्रोणागिरी गांव पहाड़ों से घिरा हुआ है। यहां भोटिया जनजाति के 50 परिवार निवास करते हैं। द्रोणागिरी गांव के लिए वर्ष 2008 में शासन ने 6.6 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण की मंजूरी दी थी। इसके लिए 10 करोड़ 94 लाख रुपये भी स्वीकृत हुए। वर्ष 2020 में सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। पहले ग्रामीणों को सड़क तक पहुंचने के लिए 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती थी। रास्ते में भूस्खलन होने का डर भी समस्या का कारण बना हुआ था।

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