Pauri Garhwal History Hindi: पौड़ी गढ़वाल का इतिहास है बेहद गौरवशाली
15वीं शताब्दी में अजय पाल का शासनकाल (Reign of Ajay Pal in the 15th century):-
जगतपाल के बाद 15 वी शताब्दी के अंत में अजय पाल ने चंद्रपुर गढ़ पर शासन किया। इन्होंने संपूर्ण रियासतों को उनके सरदारों के साथ मिलकर एक ही राज्य में समायोजित कर उसे गढ़वाल नाम दिया। 1506 में उन्होंने अपनी राजधानी चांदपुर से देवलगढ़ और बाद में 1506 से 1519 ईसवी के दौरान श्रीनगर स्थानांतरित किया। उन्हीं के समय में उनके इस क्षेत्र को गढ़वाल के नाम से जाने जाने लगा। अजय पाल और उनके उत्तराधिकारी ने लगभग 300 सालों तक गढ़वाल क्षेत्र में शासन किया । इस बीच उन्हें कई बार कुमाऊं, मुगल, सिक्ख और रोहिल्ला आदि का आक्रमण भी सहना पड़ा।
(Pauri Garhwal history hindi)
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गोरखाओं का शासनकाल (Reign of the Gurkhas):-
अजय पाल के बाद गढ़वाल क्षेत्र में गोरखा शासन होने लगा। गोरखाओं ने कुमाऊं पर कब्जा करने के बाद गढ़वाल पर आक्रमण करना शुरू कर दिया। गोरखे अत्यंत क्रूर थे उनका गढ़वाल पर आक्रमण गढ़वाल के इतिहास में अत्यंत बेहद दर्दनाक एवं क्रूर घटना मानी जाती है। गोरखाओं ने सर्वप्रथम गढ़वाली सेना को हराकर लंगूर गढ़ में प्रवेश किया। 1803 में कुमाऊं क्षेत्र को पूरी तरह कब्जाने के बाद गोरखों ने कुमाऊं को हराकर गढ़वाल पर हमला बोल दिया जिनके सामने गढ़वाल के 5000 सैनिक टिक नहीं पाए। इस युद्ध में उस समय के गढ़वाल के राजा प्रद्युमन शाह मारे गए। इस प्रकार 1804 में गोरखाओं ने पूरे गढ़वाल पर कब्जा कर दिया। गोरखाओं ने करीब 12 साल तक उत्तराखंड के कई जिलों पर राज किया फिर धीरे-धीरे विदेशी कंपनियां और अंग्रेज भारत के साथ साथ उत्तराखंड में प्रवेश करने लगे और 1815 में अंग्रेजों ने गोरखाओं का जबरदस्त विरोध कर उन्हें गढ़वाल से खदेड़ा दिया।
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अंग्रेजों का शासन काल (British rule):-
गोरखाओं के आक्रमण से निजात पाने के बाद गढ़वाल पर अंग्रेज शासन करने लगे। उन्होंने 21 अप्रैल 1815 को सम्पूर्ण गढ़वाल को अपने कब्जे में ले लिया। अंग्रेजों ने पश्चिमी गढ़वाल क्षेत्र अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के पश्चिम में अपना राज्य स्थापित कर इसे ब्रिटिश गढ़वाल का नाम दिया जिसमें देहरादून भी शामिल था। अंग्रेजों ने पश्चिम में स्थित गढ़वाल का शेष हिस्सा राजा सुदर्शन शाह को दिया।राजा सुदर्शन शाह टिहरी को अपनी राजधानी बनाया।
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पौड़ी जिले का उदय (Rise of Pauri District)
अंग्रेजों ने 1840 में पौड़ी गढ़वाल को अलग जिला बनाकर इसको असिस्टेंट कमिश्नर को दिया और इसका मुख्यालय पौड़ी बनाया गया। उस समय कुमाऊं क्षेत्र का कमिश्नर गढ़वाल, अल्मोड़ा और नैनीताल जिले का प्रशासन संभालता था। पहले कुमाऊं और गढ़वाल आयुक्त का मुख्यालय नैनीताल ही था लेकिन बाद में गढ़वाल अलग कर दिया गया और 1840 में सहायक आयुक्त के अंतर्गत पौड़ी जिले के रूप में स्थापित कर दिया गया। जिसका मुख्यालय पौड़ी में गठित किया गया। फिर सन 1960 में गढ़वाल जिले से एक हिस्सा काटकर चमोली जिला बना दिया गया।1969 में गढ़वाल डिवीजन का केंद्र बना और इसका मुख्यालय पौड़ी बनाया गया। फिर 1998 में पौड़ी जिले के खिरसू विकासखंड के 72 गांव को अलग करके एक नया जिला रुद्रप्रयाग का गठन किया गया। इस तरह जो हिस्सा बच गया उसने धीरे-धीरे पौड़ी जिले का आधुनिक रूप लिया और आज का पौड़ी बना।
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