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Uttarakhand: Pooja sailani of chamoli achieved doctorate degree after studying from hemwati Nandan BAHUGUNA

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उत्तराखंड: बड़े संघर्षों में पढ़ाई कर सल्ला गांव की पूजा ने हासिल की डॉक्टरेट की उपाधि

मां ने कड़े संघर्षों से पढ़ाया, बेटी पूजा ने हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemwati Nandan Bahuguna) गढ़वाल विश्वविद्यालय से गृह विज्ञान विषय में डाक्ट्रेट की उपाधि हासिल कर बढ़ाया मान, बनी पहली शोधार्थी…

अपनी काबिलियत के दम पर राज्य के अनेकों होनहार युवाओं ने ऊंचे-ऊंचे मुकाम हासिल किए है। इनमें से क‌ई युवा ऐसे भी हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और अपनी कड़ी मेहनत, लगन और संघर्षों के बल पर सफलता के सर्वोत्तम शिखरों को छुआ है। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही संघर्षशील एवं प्रतिभावान बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जो हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर (Hemwati Nandan Bahuguna) से गृह विज्ञान में डाॅक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त करने वाली राज्य की प्रथम शोधार्थी बनी है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के सल्ला गांव निवासी डॉक्टर पूजा शैलानी की, जिन्होंने प्रोफेसर रेखा नैथानी और डाॅक्टर अनीता सती के मार्गदर्शन में गृह विज्ञान विषय में अपना शोध कार्य पूर्ण कर डाॅक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त की है। उनकी इस अभूतपूर्व सफलता से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं पूरे क्षेत्र में भी खुशी की लहर है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के बंड पट्टी (पीपलकोटी) के सल्ला गांव निवासी डॉक्टर पूजा शैलानी ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर से गृह विज्ञान विषय में डाॅक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त कर ली है। बता दें कि गढ़वाल विश्वविद्यालय से गृह विज्ञान विषय में डाक्ट्रेट की उपाधि हासिल करने वाली राज्य की पहली शोधार्थी पूजा का जीवन बचपन से ही संघर्षो से भरा रहा, उनकी इस सफलता में अगर उनकी मां के संघर्षों का जिक्र नहीं किया जाए तो पूजा की सफलता की यह खबर अधूरी है। बताते चलें कि एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली पूजा जब महज एक साल की थी तो उनके सर से न केवल पिता का साया उठ गया बल्कि परिवार की पूजा की माँ आशा देवी शैलानी पर आ गयी। सिंचाई विभाग श्रीनगर से सेवानिवृत्त आशा देवी नें विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए न केवल खुद को संभाला बल्कि संघर्षों के बीच अपनी बेटी को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और अपने बच्चों को कभी पिता की कमी का अहसास नहीं होने दिया। मां के प्रोत्साहन ने पूजा को कभी टूटने नहीं दिया। जिस कारण पूजा अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बल पर यह मुकाम हासिल करने में कामयाब रही।

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