Uttarakhand Martyr
आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुआ उत्तराखंड का लाल, पहाड़ में दौड़ी शोक की लहर
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Kumaon regiment martyr: उत्तराखंड के एक और लाल ने मातृभूमि की रक्षा के लिए दिया सर्वोच्च बलिदान, शहीद पनेरू कर चुके थे विश्व की सबसे ऊंची चोटी को फतह..
जम्मू-कश्मीर में पाक परस्त आतंकवादियों के साथ सेना की मुठभेड़ जारी है, भारतीय सेना बीते एक हफ्ते में 10 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार चुकी है परंतु इसी बीच जम्मू-कश्मीर से देवभूमि उत्तराखंड के लिए एक बेहद दुखद खबर आ रही है जहां आतंकियों के साथ मुठभेड़ में राज्य के एक और वीर सपूत यमुना पनेरू शहीद हो गए। बताया गया है कि शहीद यमुना राज्य के नैनीताल जिले के रहने वाले थे और कुमाऊं रेजिमेंट (Kumaon regiment martyr) सूबेदार के पद पर में तैनात थे। बीते गुरुवार की देर रात मिली जवान की शहादत की खबर से जहां परिवार में कोहराम मचा हुआ है वहीं पूरे क्षेत्र में भी शोक की लहर है। सूबेदार यमुना की शहीद होने की खबर से ही परिजनों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बता दें कि शहीद यमुना पनेरू ने आठ वर्ष पहले विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर देश-प्रदेश का नाम रोशन किया था। उस दौरान उन्होंने अपने छः सदस्यीय दल के साथ कर्नल राणा के नेतृत्व में एवरेस्ट फतह किया था।
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शहादत खबर से ही थम नहीं रहे शहीद की पत्नी की आंखों से आंसू, अन्य परिजनों का भी रो-रोकर बुरा हाल:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लाक के ग्रामसभा पदमपुर मीडार के गालपाधूरा निवासी यमुना प्रसाद पनेरू पुत्र दयाकृष्ण पनेरू भारतीय सेना की 6 कुमाऊं रेजिमेंट (Kumaon regiment martyr) में सूबेदार के पद पर तैनात थे। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में थी। वर्तमान में उनका परिवार हल्द्वानी तहसील के गोरापडाव में रहता है।बताया गया है कि बीते बुधवार की रात को आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान अपनी टीम का रेस्क्यू ऑपरेशन करते हुए सूबेदार यमुना पनेरू शहीद हो गए। उनकी शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। जहां जवान के शहीद होने की खबर से जहां उनकी पत्नी सहित परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है वहीं पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। अभी तक मिल रही जानकारी के अनुसार शहीद यमुना की अभी कुछ वर्ष पहले ही शादी हुई थी और उनके दो छोटे मासूम बच्चे भी है। बड़ा बेटा यश सात साल का है जबकि उनकी बेटी साक्षी महज पांच साल की है। शहीद यमुना के बच्चे का मासूम चेहरा देखकर ग्रामीणों की आंखों से भी आंसू नहीं थम रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शहीद यमुना अदम्य साहस और बहादुरी के धनी होने के साथ ही सामाजिक व्यक्ति थे।
