uttarakhand: जनरल रावत (Bipin Rawat) को मानते हैं आदर्श, उन्हीं की तरह गोरखा रेजीमेंट की इन्फेंट्री यूनिट में मिली पहली तैनाती (leftinent)…
देश के पहले चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और अमर शहीद जनरल बिपिन रावत अब केवल हमारी यादों का हिस्सा है। वह भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं परन्तु अपने हुनर और देशभक्ति के दम हजारों युवाओं के दिलों पर राज करते हैं। खासतौर पर सेना में जाकर देशसेवा करने का सपना देखने वाले उत्तराखण्ड (uttarakhand) के अधिकांश युवा तो उन्हें ही अपना आदर्श मानते हैं। आज हम आपको जनरल रावत को आदर्श मानने वाले राज्य के एक और युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जो शनिवार को आईएमए में आयोजित पासिंग आउट परेड के दौरान भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट (leftinent) बन गए है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के शिशुवां गांव निवासी अनुभव पांडे की, जिन्होने पासिंग आउट परेड के दौरान अंतिम बाधा पार कर सेना में शामिल होने का अपना बचपन का सपना साकार किया है। सबसे खास बात यह है कि अनुभव को भी जनरल रावत (Bipin Rawat) की तरह ही गोरखा रेजीमेंट की इन्फेंट्री यूनिट में ही तैनाती मिली है। यह भी पढ़ें- गौरवान्वित हुआ उत्तराखण्ड: चैपडों गांव के भरत बने सेना में लेफ्टिनेंट, पहाड़ में दौड़ी खुशी की लहर
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत विकासखंड के शिशुवा गांव निवासी अनुभव पांडे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए है। बता दें कि देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत को अपना आदर्श मानने वाले अनुभव का परिवार वर्तमान में अल्मोड़ा जिले के ही रानीखेत के पालेनगर में रहता है। उनके पिता दिनेश चंद्र पांडे विकासखंड कार्यालय में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात हैं जबकि माता गीता पांडे राजकीय प्राथमिक विद्यालय गाड़ी में सहायक अध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं। बताते चलें कि अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गोविंद सिंह माहरा स्प्रिंग फील्ड पब्लिक स्कूल से प्राप्त करने वाले अनुभव ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) से की। तदोपरांत उनका चयन एनडीए में हो गया। जहां से चार वर्ष के कठिन प्रशिक्षण के बाद शनिवार को पासिंग आउट परेड के दौरान वह भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गए। इस दौरान हर्षोत्साहित माता-पिता ने उनके कंधों पर सितारे सजाकर बेटे को सेना को समर्पित किया।