कविता – मां शब्द की क्या ही परिभाषा दूं …….भावना मेहरा (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन )
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मां शब्द की क्या ही परिभाषा दूं?
मां एक शब्द है न लेख है,
ना ही इस शब्द का कोई मोल है,
मां शब्द एक एहसास है, एक प्यार है,
जिंदगी के हर दुख में छुपे एक हंसी का एहसास है,
जो साथ न होकर भी आसपास है,
छोटे-छोटे कदमों का साथ है,
जो आज भी हमारे साथ है,
मां की वह बचपन की लोरी से लेकर,
उसकी सांसों की वह आखिरी डोरी,
हर पल हर वक्त बस उसकी ममता,
करुणा और त्याग की मूरत है,
भूखे रहकर बच्चों को खिलाना,
अपने आंचल की ठंडी छांव में सुलाना,
नींद ना आने पर लोरी सुनना,
और डर जाने पर अपने पल्लू में छुपाना,
पापा की मार से बचाना,
बच्चों की खातिर दुनिया से लड़ जाना,
मां शब्द की क्या ही परिभाषा दूं?
मां एक शब्द है न लेख है।।
पोस्ट: चरखा फीचर
भावना मेहरा
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड
(Bhawana Mehra poem)
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