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उत्तराखण्ड

पिथौरागढ़

उत्तराखंड: दस आतंकियों का खात्मा करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल रावत को मिला बहादुरी का सेना मेडल

uttarakhand: सैन्य दस्ते का कुशल नेतृत्व कर दस आतंकवादियों को उतारा था मौत के घाट..
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देवभूमि उत्तराखंड (uttarakhand) को वीरभूमि का दर्जा मिलना मात्र एक संयोग नहीं है अपितु इसके पीछे राज्य (uttarakhand) के उन हजारों-लाखों सपूतों की वीरता और बलिदान की कहानियां हैं जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपनी प्राणों की बाजी लगा दी और उनमें से कई तो इस दौरान वीरगति को भी प्राप्त हुए लेकिन फिर भी देश के इन वीर सपूतों ने मां भारती के आन-बान-शान में कोई आंच तक नहीं आने दी। राज्य (uttarakhand) के इन बहादुर सपूतों की वीरता, साहस और जज्बे को पूरा देश भी सलाम करता है। आज हम आपको राज्य के एक ऐसे ही जाबांज सपूत से रूबरू करा रहे हैं जिन्होंने अपने सैन्य दस्ते का कुशल नेतृत्व करते हुए न सिर्फ दस आतंकियों को मार गिराया था बल्कि अदम्य साहस के लिए बहादुरी का सेना मेडल प्राप्त कर सम्पूर्ण उत्तराखण्ड (uttarakhand) का मान भी बढ़ाया। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील के रहने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल भारतेंदु रावत की, जिन्होंने अपनी और अपनी सैन्य टुकड़ी की जान की परवाह न करके आतंकवादियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था और इस आपरेशन में दस आतंकियों को मौत के घाट उतार अपनी साहस एवं वीरता के साथ ही कुशल नेतृत्व का भी परिचय दिया था। लेफ्टिनेंट कर्नल भारतेन्दु को सेना मेडल (बहादुरी) मिलने पर उनके गृहक्षेत्र में खुशी की लहर है। क्षेत्रवासियो का कहना है कि लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने उनके साथ ही पूरे राज्य को गौरवान्वित होने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है।


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लेफ्टिनेंट कर्नल रावत का परिवार पीढ़ियों से रहा है देश सेवा को समर्पित:– प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील के रैतोली गांव के मूल निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल भारतेंदु रावत को अदम्य साहस के लिए सेना मेडल (बहादुरी) से सम्मानित किया गया है। कर्नल रावत को यह सम्मान करीब डेढ़ साल पहले जम्मू-कश्मीर के तंगधार में अपने सैन्य दस्ते के उस कुशल नेतृत्व के लिए प्रदान किया गया जिसमें उन्होंने अपनी सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए दस आतंकियों को मार गिराया था। सबसे खास बात तो यह है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब एक साथ इतने आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया और इस मिशन में सैन्य टुकड़ी को कोई खरोंच तक नहीं आई थी। लेफ्टिनेंट कर्नल रावत के इसी कुशल नेतृत्व के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अनुशंसा पर दक्षिणी कमान के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती ने मुंबई के इंडिया गेट पर आयोजित एक समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया। बता दें कि लेफ्टिनेंट कर्नल रावत वर्तमान में जयपुर में 20वीं जाट बटालियन में कार्यरत हैं और परिवार बरेली कैंट में रहता है। बताते चलें कि लेफ्टिनेंट कर्नल रावत का परिवार पीढ़ियों से देश सेवा के लिए समर्पित रहा है। जहां उनके दादा, पिता और चाचा भी सेना के अंग रह चुके हैं वहीं उनके भाई भी वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में सेना में अधिकारी हैं एवं उनकी पत्नी भी सेना शिक्षा कोर में अधिकारी हैं।


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