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Bal Mithai History: उत्तराखंड में सबसे पहले कहां से आई बाल मिठाई? जानें इतिहास.

 Bal Mithai History: जोगा लाल साह से लेकर ब्रिटिश शासकों तक बाल मिठाई का इतिहास है बेहद रोचक 

मुंह में मिश्री जैसी घुल जाने वाली अल्मोड़ा की “बाल मिठाई” से आज हर कोई रूबरू होगा और शायद ही कोई होगा जो इसे नहीं जानता होगा। जी हां आम जन से लेकर बड़े-बड़े हस्तियों के बीच प्रसिद्ध यह मिठाई आज ना सिर्फ कुमाऊं बल्कि उत्तराखंड के अलावा देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है।
बाल मिठाई (Baal Mithai):  यह एक भूरे रंग की आयताकार चॉकलेट है जिसके चारों और सफेद गोल चीनी की गोलियां लिपटी होती है और इसे खोया से बनाया जाता है। इसकी खूबसूरती और चर्चे की बात करें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि आज जो कोई भी कुमाऊं के अल्मोड़ा क्षेत्र में जाता है तो बाल मिठाई लेकर जरूर आता है यही नहीं अपने इसी स्वाद और विशेषता के कारण ना केवल आमजन बल्कि ब्रिटिश शासन काल के अधिकारी और महात्मा गांधी से लेकर बड़े-बड़े हस्तियां के बीच भी काफी लोकप्रिय थी और वह जब कभी भी अल्मोड़ा आए तो उन्होंने अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई का स्वाद जरूर चखा।(Bal Mithai History)Bal mithai almora sweet
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बाल मिठाई का इतिहास और इससे जुडे़ कुछ रोचक बातें (Almora Bal Mithai History)

स्वाद में बेहद स्वादिष्ट और दिखने में अत्यंत खूबसूरत इस मिठाई की इतिहास के बारे में बात करें तो इतिहासकारों के अनुसार सर्वप्रथम यह मिठाई 7 वीं शताब्दी में नेपाल से उत्तराखंड आई थी। उस समय यह सूर्य देवता को समर्पित करने वाला प्रसाद के रूप में जाना जाता था। अब अल्मोड़ा शहर में इसके अविष्कार को लेकर बात करें तो यह अल्मोड़ा कैसे पहुंची इसका कोई प्रमाण तो नहीं है लेकिन विद्वानों के अनुसार बाल मिठाई सूर्य देवता को समर्पित किया जाने वाला प्रमुख प्रसाद है। इसका श्रेय अल्मोड़ा में सर्वप्रथम 20 वीं सदी में एक मिठाई विक्रेता और हलवाई “स्वर्गीय जोगा लाल शाह” को जाता है जिन्होंने सर्वप्रथम इसका आविष्कार अल्मोड़ा में किया था। इनकी उस समय अल्मोड़ा के लाल बाजार में मिठाई की एक छोटी सी दुकान हुआ करती थी और उन्हीं के दुकान में उस समय सिर्फ यह मिठाई बनती थी। वह अल्मोड़ा के डेरी प्रोडक्ट के लिए प्रसिद्ध एक गांव फालसीमा से स्पेशल क्रीम वाला दूध मंगवाते थे, जिसके बाद वह उस दूध से खोया बनाते थे और उसकी एक भूरे रंग की बर्फी तैयार करते थे फिर उस बर्फी पर चासनी में भीगे हुए खसखस के सफेद दाने लपेट दिए जाते थे। 1965 में अल्मोड़ा में पहली बार स्वर्गीय जोगा लाल शाह द्वारा बाल मिठाई बनाई गई थी तब यह मिठाई आमजन से लेकर ब्रिटिश अधिकारियों तक को बेहद पसंद आई थी। जिसके बाद ब्रिटेन अधिकारी हर खुशी के मौके और त्योहारों पर इसे उपहार स्वरूप अपने जानने वालो को देते थे और धीरे-धीरे ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा यह इंग्लैंड भी भेजे जाने लगी जिस कारण उस समय वह इंग्लैंड आदि देशों में भी बनने लगी इसलिए आज यह उत्तराखंड ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जानी जाती है। वही उत्तराखंड में यह अल्मोड़ा के बाल मिठाई के रूप में प्रसिद्ध है और इसके कारण ही अल्मोड़ा शहर को आज “बाल मिठाई शहर”(City of Bal Mithai ) के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो आज यह स्वाद में लवाजबाबता के कारण कुमाऊं के संपूर्ण क्षेत्र में बनने लगी है पर सर्वप्रथम यह अल्मोड़ा में ही बनती थी और अल्मोड़ा ही इस मिठाई के लिए प्रसिद्ध था। आज कोई त्यौहार हो यह किसी को कुछ खास तोहफा देना हो हर कोई अल्मोड़ा की बाल मिठाई को देना पसंद करता है और बाहर से आने वाले पर्यटक भी अगर अल्मोड़ा आते हैं तो इस मिठाई को जरूर अपने घरों को लेकर जाते हैं और यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि अधिकतर पर्यटक यहां की बाल मिठाई के कारण ही इस और रुख करते हैं। इसका स्वाद इतना स्वादिष्ट होता है कि आज हर कोई इसे चखना चाहता है और लगभग सभी की यह प्रिय बन गई है जिस कारण वर्तमान में यह अल्मोड़ा की पहचान के साथ साथ प्रसिद्ध बाल मिठाई बन चुकी है।
बाल मिठाई ना केवल अपने स्वाद बल्कि कई रोचक तथ्यों के लिए भी प्रसिद्ध है इस संबंध में कहा जाता है कि यह मिठाई अंग्रेजों को इतनी पसंद आती थी कि वह क्रिसमस के मौके पर एक दूसरे को यही मिठाई भेंट करते थे और यही नहीं वह इसे अपने देशों इंग्लैंड आदि जगह भी भेजा करते थे।
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कैसे बनाई जाती है बाल मिठाई (How to make Bal Mithai)

बाल मिठाई कैसे बनाई जाती है इस पर बात करें तो सर्वप्रथम खोया को चीनी के साथ तब तक मिलाकर पकाया जाता है जब तक उसका रंग चॉकलेट जैसा ना दिखने लगे। तत्पश्चात कुछ समय तक चॉकलेट जैसी दिखने वाली खोया को जमने दिया जाता है और जब यह जम जाती है तो उसे आयताकार टुकड़ों में काट कर उसे चीनी के सफेद गोलाकार खसखस के दानों से सजाया जाता है। फिर बनती है यह स्वादिष्ट मिठाई जो आज सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि विदेशों में जैसे अमेरिका ,जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया आदि शहरों में भी बड़े चाव के साथ खाई जाती है।
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अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई की दुकान (Almora’s famous Bal Mithai shop)

वर्तमान में अल्मोड़ा शहर में बनने वाली बाल मिठाई की दुकानों की बात करे तो करीब 50 से भी ज्यादा दुकानों में यह मिठाई बनती हैं। लेकिन इन सब में विशेष रूप से बाल मिठाई के लिए दो ही अड्डे प्रसिद्ध हैं एक जोगा शाह की बाल मिठाई तो दूसरा खीम सिंह मोहन सिंह रौतेला की बाल मिठाई। जिनमें जोगा लाल शाह मिठाई निर्माता इस बात का दावा करते हैं कि सन 1965 में पहली बार बाल मिठाई का आविष्कार उनके पूर्वजों ने किया था। तो यह थी चॉकलेट जैसी सुंदर दिखने वाली अल्मोड़ा की बेहद आकर्षक और स्वादिष्ट बाल मिठाई जो कि आज पूरे अल्मोड़ा, कुमाऊं, उत्तराखंड और देश विदेश में प्रसिद्ध है। तो अगर आप भी कभी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र या अल्मोड़ा का रुख करते हो तो इस मिठाई का स्वाद जरूर चखिएगा।

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