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RAJNIKANT SEMWAL SONGS

उत्तराखण्ड

सिनेमा जगत

रजनीकांत सेमवाल लायें है, उच्च हिमालयी क्षेत्र के आराध्य देव की गाथा “कफुवा”

रजनीकांत सेमवाल उत्तराखण्ड लोकसंगीत (Uttarakhand folk Song) में एक ऐसा बहुचर्चित नाम है, जिनके भग्यानी बौ ने 3 मिलियन लोगो को अपना मुरीद बना दिया था। इतना ही नहीं उनके भग्यानी बौ के रीमिक्स वर्जन ने भी काफी धमाल मचाया। भग्यानी बौ की अपार सफलता के बाद रजनीकांत सेमवाल (Rajnikant Semwal New Song)लाये है ” कफुवा “। रजनीकांत सेमवाल के गीतों की खाश बात ये है की , आजकल के फूहड़ गीतों से कही दूर हटकर वो सिर्फ पहाड़ी लोक संस्कृति को ही प्राथमिकता देते है। उनके गीतों में पुरे पहाड़ की संस्कृति ,सांस्कृतिक विरासत ,और रीती रिवाजो का समावेश रहता है। रजनीकांत सेमवाल ने कफुवा को इतने सुन्दर तरीके से अपनी गायिकी में संजोया है, मानो सोमेश्वर देवता साक्षात् अवतरित होने को हो।

बता दे की रजनीकांत सेमवाल ने सेलकू मेले के अवसर पर “कफुवा ” को संजोया है, जिसमे बड़ी खुबसूरती से सोमेश्वर देवता की कुल्लू से टंकोर की यात्रा का विवरण किया गया है। उन्होंने सोमेश्वर देवता की लोककथा को बहुत ही खूबसूरत तरीके से अपने गीत में पिरोया है।
“कफुवा “: कफुवा एक ऐसी शैली और विधा है , जिसकी गाथा और धुन पर सोमेश्वर देवता अवतरित होते है। जिस प्रकार उत्तराखण्ड में नरसिंह देवता , गोलू देवता इत्यादि को अवतरित करने के लिए जागर में उनकी गाथा गायी जाती है , उसी प्रकार सोमेश्वर देवता को अवतरित के लिए कफुवा भी एक विधा है।
सोमेश्वर देवता : लोक कथाओ और जनश्रुतियों के अनुसार उच्च हिमालयी इलाको के आराध्य देव सोमेश्वर देवता कुल्लू हिमाँचल, और जम्मू कश्मीर से होते हुए, मुखवा (उत्तरकाशी) तक भेड़ पालको के साथ आये। जैसे की सोमेश्वर देवता एक चरवाहा थे ,जो अपनी भेड़-बकरियों के साथ हिमालय की दूर-दराज क्षेत्र में घूमा करते थे। जब वह गंगोत्री पहुंचे और यहां गंगा में स्नान करने के बाद मुखवा में ही बस गए।
सेलकू पर्व : फूलों के त्योहार सेलकू मेले का उत्तरकाशी  के रैथल समेत आस पड़ोस के गांवो में प्रत्येक वर्ष आयोजन किया जाता है। सेलकू पर्व के मौके पर सोमेश्वर देव की डोली से सुख समृद्धि की मनौती मांगी जाती है।

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देवभूमि दर्शन से खाश बात चित : देवभूमि दर्शन से बात चित में रजनीकांत सेमवाल कहते है की ” हम सभी को अपनी संस्कृति लोक परम्परा ,साहित्य से जुड़ना होगा , तभी हम पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत कर पाएंगे की उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है” । इसके साथ ही रजनीकांत सेमवाल बताते है की गीत के कुछ भाग को मुखवा में सेलकू में व बाकी भाग को उत्तरकाशी के जखोल , खरसाली और रैथल में अलग अलग दिन शूट किया गया।
गढ़रत्न नरेंद्र नेगी ने भी किया विमोचन : डॉ. नरेंद्र नेगी ने ” कफुवा ” का विमोचन करते हुए कहा की उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति को संजोये रखने के लिए इस प्रकार  के गीत बनाना बेहद सराहनीय कदम है।  
गीत से जुड़े कलाकार : पहाड़ी दगड़िया प्रोडक्शन ने इस गीत का फिल्मांकन किया है , गीत को स्वर दिए है, रजनीकांत सेमवाल , सिनेमेटोग्राफ व निर्देशन गोविन्द सिंह नेगी , सह निर्देशन सोहन चौहान और संगीत दिया गया है रंजीत सिंह द्वारा।रजनीकांत सेमवाल और उनकी पूरी टीम ने पूरे एक वर्ष इस गीत के लिए काफी मेहनत की है ,अगर आपको भी गीत पसंद आया हो तो जरूर शेयर करे।
उनके यूट्यूब चैनल पर अन्य गीत भी आप देख सकते है ⇓

रजनीकांत सेमवाल 

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