मूल रूप से उत्तराखण्ड के कोटद्वार की बॉलीवुड अभिनेत्री उर्वशी रौतेलाआये दिन किसी ना किसी सुर्ख़ियो में रहती ही है। कभी अपने ड्रेसिंग सेन्स की वजह से तो कभी किसी विवादित बयान से लेकिन आज उर्वशी रौतेला की विवादित खबरों और ड्रेसिंग सेन्स से हटकर कुछ विशेष पेशकश लाए है । जी हां आज आपको रूबरू कराने जा रहे है उत्तराखण्ड की सुंदरी उर्वशी रौतेला के पहाड़ी गीतों से , उर्वशी रौतेला जितनी अपने अभिनय में माहिर है वैसी ही कला शैली है उनके गायिकी में। ये उनका अपने पहाड़ से ही प्रेम और लगाव है जो वो उत्तराखण्ड के लोकगीतों को बड़े मंच पर गाती है।
उत्तराखण्ड महोत्सव मुंबई- उर्वशी रौतेला को अपने उत्तराखण्ड की संस्कृति से बेहद लगाव है जिसका जीता जागता उदाहरण मुंबई के उत्तराखण्ड महोत्सव है जहाँ उन्होंने उत्तराखण्ड के प्रसिद्द लोकगीत बेडुपाको बारामासाको गाकर पूरी मुंबई नगरी को बता दिया की वो भी पहाड़ी है और अपने पहाड़ की संस्कृति से बेहद लगाव रखती है। उर्वशी रौतेला को अधिकतर मुंबई के बोरीवली और नेरुल में आयोजित उत्तराखण्ड महोत्सवो में देखा गया है।
उर्वशी रौतेला के गढ़वाली गीतों का चला जादू – मुंबई में उत्तराखण्ड महोत्सव में उर्वशी रौतेला ने गढ़वाली हिट गीत “सुरमा सरेला” को इतनी खूबसूरती से पेश किया की कुछ मराठी लोगो ने भी उनकी तारीफ करते हुए यही कहा की कोई भी अभिनेता अथवा अभिनेत्री कही भी रहे लेकिन अपने संस्कृति से जुड़ाव होना चाहिए। मुंबई कौतिक 2015 कि एक वीडियो आपके सामने पेश कर रहे है , जिसमे उर्वशी कहती है में पहाड़ी हूँ मेरे पिताजी गढ़वाली और मम्मी कुमाउँनी है। इसके साथ ही उर्वशी ने गढ़रत्न नरेंद्र नेगीके गीतों से भी अपना विशेष लगाव बताया है ,जैसे आप वीडियो में देख सकते है। यह भी पढ़े- उर्वशी रौतेला ने कहा उत्तराखंड की स्थानीय फिल्मों को प्रमोट करना चाहेंगी