हाईकोर्ट ने दिए आदेश -ओवरलोडिंग और वाहन चलाते समय फ़ोन उपयोग करने वालो की खैर नहीं
देहरादून: उत्तराखण्ड में आये दिन सड़क दुर्घटनाएं रुकने के नाम नहीं ले रही है , जिसमे पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले सड़क हादसों के घटनाएं ज्यादा है। धुमाकोट बस हादसे के बाद सरकार ने शख्ती बरतनी शुरू कर दी है। बता दे की पिछले दिनों पौड़ी-धूमाकोट नैनीडांडा ब्लॉक में पिपली-भौन मोटर मार्ग पर बस हादसा हुआ था , हादसा इतना भयानक था की बस सड़क से करीब 60 मीटर नीचे संगुड़ी गधेरे में गिर गई थी। इस हादसे में 48 यात्रियों की मौत हो गई थी, और जिसमे दस बच्चों के साथ 16 महिलाओं व 22 पुरुषों की मौत हो गई थी। इस दुर्घटना के बाद से सरकार ने प्रदेश में ओवरलोडिंग पर मुकदमा करने का आदेश दे दिया है।
पहाड़ो में सड़क हादसे होने के मुख्य कारण है ओवरलोडिंग और नसे में वाहन चलाना। जानकारी है की नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार को परिवहन विभाग और सुरक्षा एजेंसियों के कार्मिकों को मिलाकर 73 नए प्रवर्तन दल बनाने के आदेश दिए हैं। राज्य की सभी तहसील में प्रवर्तन दल को तैनात करने के आदेश दिए गए हैं। मौजूदा समय में 21 प्रवर्तन दल काम कर रहे हैं। नियम तोड़ने वालों के साथ ही ओवरलोडिंग को रोकने के लिए खास कदम उठाने को कहा गया है।
हाईकोर्ट के निर्देश
1. वाहनों से क्रश गार्ड, बैल बार और फ्लैश लाइट्स एक हफ्ते में हटाएं।
2. कोर्ट ने एक माह के भीतर रोड सेफ्टी ऑडिट कराने के साथ ही कई निर्देश दिए हैं।
3. सभी वाहनों में तीन माह में स्पीड गवर्नर लगाएं।
4. चालक-परिचालक की वर्दी सुनिश्चित की जाए।
5. सड़को पर खतरे को लेकर चिह्नित स्थलों पर बोर्ड लगाएं।
6. नशे की जांच के लिए एक सौ यंत्र पुलिस को दिए जाएं।
7. एमवी एक्ट और आईपीसी के तहत कार्रवाई करें।
8. छह माह में प्रत्येक बस में जीपीएस लगाएं।
9. सभी क्षेत्रों में पर्याप्त सार्वजनिक परिवहन का इंतजाम करें।
10. सीज किए गए वाहनों के लिए डीएम जमीन उपलब्ध कराएं।
11. हर जिले में ट्रैफिक अवेयरनेस सेंटर बने।
साथ ही वाहन चलाते समय मोबाइल से बात करना अब भारी पड़ेगा। हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार अब ऐसा करने पर मोबाइल जब्त कर लिया जाएगा। इसे चौबीस घंटे के भीतर वाहन के वैध दस्तावेज दिखाने पर ही वापस किया जाएगा