Uttarkashi tunnel collapse: सिलक्यारा सुरंग में बतौर मशीन आपरेटर कार्यरत हैं पुष्कर, परिजन मांग रहे पुष्कर की सलामती की दुआं…
Uttarkashi tunnel collapse
दीवाली के दिन उत्तराखण्ड में आई आफत से 41 लोगों की जिंदगी पर जो कहर बरपा था, उसका रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है। जैसे जैसे समय गुजरता था रहा है वैसे-वैसे न केवल सुरंग के भीतर फंसे लोगों बल्कि उनके परिजनों के दिलों की धड़कन भी बढ़ती जा रही है। सब ऊपर वाले से बस यही दुआ कर रहे हैं कि सुरंग के भीतर सब कुछ सही हों पर हालात की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुरंग के भीतर फंसे लोग अब यह कहने को मजबूर हैं कि सुरंग से बाहर निकलने में और कितने दिन लगेंगे? वाकई ये शब्द न केवल परिस्थिति की भयावहता बल्कि सुरंग के भीतर फंसे उन लोगों के दर्द को भी बयां करते हैं जिनमें चम्पावत जिले के टनकपुर के छीनीगोठ गांव निवासी 24 वर्षीय पुष्कर सिंह ऐरी भी शामिल हैं। बीते रविवार को अपने भाई विक्रम सिंंह ऐरी से संपर्क होने पर उन्होंने भी यह बात कही।
(Uttarkashi tunnel collapse)
Pushkar airy Champawat
आपको बता दें कि पुष्कर सिंह ऐरी, उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में पिछले एक वर्ष से मशीन ऑपरेटर का कार्य कर रहे है। पुष्कर के बड़े भाई विक्रम ने अपने भाई से बातचीत कर उन्हें हौंसला रखने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि सुरंग में फंसे लोगों को सूखे मेवे के अलावा कंप्रेसर से ऑक्सीजन दी जा रही है। बातचीत में पुष्कर ने विक्रम को यह भी बताया कि सुरंग में तिरपाल होने से थोड़ी मदद मिल रही है। उधर छोटे बेटे के सुरंग में फंसे होने की खबर से पुष्कर की मां गंगा देवी और पिता राम सिंह बहुत बेचैन है। वह भगवान से पल पल बेटे की सलामती की दुआं कर रहे हैं। विक्रम के लिए जहां उन्हें समझा पाना काफी मुश्किल हो रहा है वहीं उन्हें ढांढस बंधाने जा रहे आसपास के ग्रामीण भी अपनी आंखों से अश्रुओं की धारा बहने से नहीं रोक पा रहे हैं।
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बता दें कि उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में सुरंग में फंसे मजदूरों को रेस्क्यू करने में अभी समय लग सकता है। सुरंग निर्माण विशेषज्ञ के मुताबिक, सुरंग के ढहने के बाद दो दिन मलबा हटाने की गलती के चलते रेस्क्यू का समय बढ़ गया है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में अभी पांच दिन से एक सप्ताह का समय और लग सकता है।
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