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Uttarakhand: Siddharth dhapola of Kanda bageshwar, posted as Inspector in ITBP, passed UPSC exam result 2021

UPSC CIVIL SERVICES EXAM RESULT

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उत्तराखंड: आईटीबीपी में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात कांडा के सिद्धार्थ ने पास की यूपीएससी परीक्षा

Uttarakhand UPSC Result: सिद्धार्थ धपोला ने पास की यूपीएससी परीक्षा वर्तमान में हैदराबाद में आईपीएस का ले रहे हैं प्रशिक्षण

अगर मन में कुछ करने का जज्बा हों तो कितनी भी ठोकरें, असफलताएं आपके जज्बे और बुलंद हौसलों को नहीं तोड़ सकती। इस बात को एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है लगातार तीन बार यूपीएससी की परीक्षा पास कर अपनी कुशाग्र बुद्धि का लोहा मनवाने वाले राज्य के एक होनहार युवा ने। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य(Uttarakhand) के बागेश्वर जिले के रहने वाले सिद्धार्थ धपोला की, वर्तमान में हैदराबाद में आईपीएस का प्रशिक्षण ले रहे सिद्धार्थ ने बीते रोज घोषित सिविल सेवा परीक्षा(UPSC Result) 2020 की मेरिट सूची में 294वीं रैंकिंग हासिल की है। बता दें कि वह इससे पहले भी दो बार यूपीएससी की परीक्षा 163वीं ऑल इंडिया रैंकिंग एवं 255वीं रैंकिंग के साथ उत्तीर्ण कर चुके हैं। पहले प्रयास में 255वीं रैंक हासिल करने वाले सिद्धार्थ का चयन चयन आईआरएस के लिए हुआ था जबकि दूसरे प्रयास में 163वीं रैंक के साथ वह आईपीएस के लिए चयनित हुए।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के बागेश्वर जिले के कांडा तहसील के भदौरा गांव के सिद्धार्थ धपोला ने लगातार तीसरी बार यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की है। बता दें कि उनके पिता विपिन चंद्र धपोला आईटीबीपी में इंस्पेक्टर के पद तैनात हैं जबकि उनकी मां मुन्नी धपोला एक कुशल गृहिणी हैं। बचपन से ही मेधावी छात्र रहे सिद्धार्थ धपोला ने अपनी इंटरमीडिएट तक की शिक्षा केंद्रीय विद्यालय दिल्ली से प्राप्त की। तत्पश्चात उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियररिंग से बीटेक किया। जिसके बाद वह सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए। उन्होंने लगातार तीन बार यूपीएससी की परीक्षा की, परंतु वह आईएएस बनने का सपना साकार नहीं कर सके बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी। इन विपरीत परिस्थितियों में उनके माता-पिता ने सिद्धार्थ का जमकर हौसला अफजाई की। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके पिता का कहना है वह जरूर एक दिन आइएएस बनेगा। वह कहते हैं कि बेटे को गांव के प्रति भी लगाव है वह साल में एक बार जरूर गांव जाता है।


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