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Kasar Devi temple mandir almora uttarakhand
फोटो कसार देवी मंदिर अल्मोड़ा उत्तराखंड (सौजन्य सोशल मीडिया)

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Kasar devi temple almora: अल्मोड़ा कसार देवी मंदिर की चुम्बकीय शक्तियां

Kasar devi temple almora: देश विदेश के विभिन्न स्थानों की अपेक्षा कसार देवी मंदिर में अधिक है गुरुत्वाकर्षण बल, अभी तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाए वैज्ञानिक…

Kasar devi temple almora 
देवभूमि उत्तराखंड को भारत का मस्तक भी कहा जाता है। ऊंचे ऊंचे पहाड़ों की हसीन वादियों से घिरी इस धरा पर न केवल प्रसिद्ध तीर्थ स्थल, पर्यटन स्थल मौजूद हैं बल्कि अध्यात्म की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण इस समूचे प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में मंदिरों, धामों के दर्शन पल-पल पर होते रहते हैं। आज हम आपको राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक ऐसे ही प्राचीन मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके रहस्यों से न केवल देश विदेश के लोग बल्कि नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। जी हां.. हम बात कर रहे हैं कसार देवी मंदिर की। चलिए अब आपको इस मंदिर के बारे में विस्तार से बताते हैं।
(Kasar devi temple almora)
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मां दुर्गा के कात्यायनी अवतार को समर्पित है यह मंदिर:-

बता दें कि कसार देवी मंदिर अल्मोड़ा से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर कसार देवी गांव में स्थित है। कसार देवी मंदिर के कारण ही इस गांव को भी इसी नाम से जाना जाता है। ये मंदिर कश्यप पहाड़ी की चोटी पर एक गुफानुमा जगह पर बना हुआ है। यहां लगभग 100 सीढ़ियां देवी दुर्गा के कात्यायनी अवतार को समर्पित इस ऐतिहासिक मंदिर तक जाती हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर अपने एक अनोखे चुंबकीय चमत्कार से भी लोकप्रिय है, जिसके बारे में जानने के लिए अक्सर यहां वैज्ञानिक भी आते रहते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि अभी तक इस मंदिर के इन चुंबकीय रहस्यों का पता नासा के वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं।
(Kasar devi temple almora)
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Kasar devi temple history कसार देवी मंदिर का इतिहास:-

बात कसार देवी मंदिर के इतिहास की करें तो कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण दूसरी शताब्दी में किया गया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कात्यायनी रूप में देवी पार्वती सबसे पहले अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर में ही प्रकट हुई थी। इसलिए इस मंदिर में नवदुर्गा के छठवें रूप कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी को कौशिकी के नाम से भी जाना जाता है। भागवत पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है। जिसमें यह भी कहा गया है कि कसार देवी की पहाड़ी पर मां कात्यायनी ने दो राक्षसों शुंभ और निशुंभ का वध किया था। इस मंदिर में माता रानी की मूर्ति बनी हुई है। इतना ही नहीं मंदिर में रखी माता की मूर्ति के पीछे पत्थर पर एक शेर की आकृति भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाए, वह पूरी होती है। यहां आने वाले लोगों को ना सिर्फ प्रकृति की खूबसूरती देखने को मिलती है, बल्कि मानसिक शांति की भी अनुभूति होती है। सबसे खास बात तो यह है कि स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए थे। उन्हें यह जगह इतनी पसंद आई थी कि उन्होंने अपने लेखन में इसका जिक्र भी किया था।
(Kasar devi temple history)
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Kasar Devi magnatic field अपने चुंबकीय रहस्यों से नासा के वैज्ञानिकों को भी किया हैरान, दुनिया की तीन विशेष जगहों में शामिल:-

नासा के वैज्ञानिकों की मानें तो दुनिया में तीन ही ऐसी जगह है जहां विशाल चुंबकीय क्षेत्र पाया जाता है। कसार देवी भी इन्हीं में शामिल हैं। इसके अलावा अन्य दो स्थानों में माचू-पिच्चू, पेरू (अमेरिका) और स्टोन हैंग स्मारक, विल्टशायर (इंग्लैंड) शामिल हैं। बताते चलें कि माचू पिच्चू में जहां इंका सभ्यता के अवशेष मिले हैं जो उस वक्त एक धार्मिक नगरी थी और 11वीं शताब्दी में यहां वेधशाला भी थी। कहा जाता है कि यहां ऊपर पहाड़ी से नीचे देखने पर एक लम्बी लाइन दिखाई देती है, जबकि नीचे पहुंचने पर ऐसा कुछ नहीं पाया जाता है। वहीं स्टोन हैंग स्मारक दुनिया के सात आश्चर्यों में भी शुमार है। यहां भी प्रागैतिहासिक काल के प्रमाण देखे जा सकते हैं।
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मानसिक शांति के साथ ही ध्यान साधना के लिए भी महत्वपूर्ण केंद्र, स्वामी विवेकानंद ने भी लगाया था यहां ध्यान:-

Kasar Devi magnatic field नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है, जिसके कारण यहां भूचुम्बकीय प्रभाव देखने को मिलते हैं और इससे ही इस क्षेत्र में गुरुत्‍वाकर्षण बल (Gravity) बाकी जगहों के मुकाबले ज्‍यादा है। नासा ने कसार देवी मंदिर परिसर में GPS 8 केंद्र चिह्नित किया गया है और इस स्थान पर ग्रेविटी पॉइंट के बारे में बताया है। बता दें कि यह स्थान प्रमुख मंदिर के द्वार के बाईं ओर स्थित है और यहां पर GPS 8 लिखा गया है। इस मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि यह मंदिर ध्यान साधना के लिए एक अच्छा केंद्र है। इसके पीछे स्वामी विवेकानंद के साथ ही बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा द्वारा गुफा में रहकर की गई विशेष साधना को भी माना जाता है। इसी कारण आध्यात्मिक लोग इस जगह पर मानसिक शांति पाने तथा ध्यान लगाने आते रहते हैं। यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दौरान एक भव्य मेले का आयोजन भी होता है, जिसमें हजारों-लाखों लोग सम्मिलित होते हैं।
(Kasar devi temple uttarakhand)

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