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Gokul Singh Gusain of almora uttarakhand

अल्मोड़ा

उत्तराखण्ड: अल्मोड़ा के गोकुल बने सेना में सब लेफ्टिनेंट, बचपन में ही हो गया था पिता का निधन

Gokul Gusain army sub-lieutenant: बचपन में ही उठ गया था पिता का साया, मां व नाना ने बड़ी कठिनाई से किया लालन पालन….

Gokul Gusain army sub-lieutenant
राज्य के होनहार युवा वाशिंदे आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।‌ खासतौर पर सैन्य क्षेत्रों में उत्तराखण्ड के युवाओं की लगातार बढ़ती हुई संख्या न केवल यहां के वाशिंदों के देशप्रेम को बयां करती है बल्कि यह उत्तराखण्ड की पावन धरा के वीरभूमि होने की बात को भी प्रमाणित करती है। आए दिन हम आपको राज्य के होनहार युवाओं के सेना में सम्मिलित होने की खबरों से रू-ब-रू कराते रहते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही होनहार युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जो भारतीय सेना में सब-लेफ्टिनेंट बन गये हैं। जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के ताकुला विकासखंड के ग्राम डोटियालगांव निवासी गोकुल सिंह गुसाई की, जिन्होंने सब लेफ्टिनेंट बनने का मुकाम परिवार की विषम परिस्थितियों से जूझते हुए हासिल किया है। गोकुल की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं उनके घर पर बधाई देने वालों का भी तांता लगा हुआ है।
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Gokul Gusain Takula Almora
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के ताकुला विकासखंड के ग्राम डोटियालगांव निवासी गोकुल सिंह गुसाई एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। जब वह महज एक वर्ष के थे तो लम्बी बीमारी के बाद उनके पिता इंदर सिंह गुसाई का निधन हो गया। इस दुखद घटना से न केवल छोटी सी उम्र में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया बल्कि उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और गोकुल के पालन-पोषण के साथ ही उसकी शिक्षा दीक्षा की सारी जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। ऐसे समय में उनके नाना ग्राम जाख सौड़ा निवासी सेवानिवृत अध्यापक राम सिंह पिलखवाल व मामा सूबेदार मेजर गोविन्द पिलख्वाल ने उनके परिवार की मदद की। परिवार की इन विषम परिस्थितियों से जूझते हुए गोकुल ने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की, जिसके उपरांत वर्ष 2020 में उन्होंने एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। तदोपरांत तीन वर्ष के कठिन प्रशिक्षण के बाद बीते 25 नवम्बर 2023 को वह भारतीय नौसेना एकेडमी केरला से पास आउट होकर सब लेफ्टिनेंट बन गए हैं। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी माता भगवती गुसाई, नाना राम सिंह पिलख्वाल व मामा सूबेदार मेजर गोविन्द पिलख्वाल को दिया है।

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