उत्तराखण्ड के लोकगीतों से पहाड़ की संस्कृति को एक नयी ऊंचाई पर पहुंचाने वाले सुप्रसिद्ध लोकगायक स्वर्गीय पप्पू कार्की के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है , आज भी उनकी अमर आवाज लोगो के दिलो में जीवंत है। लोकगायक स्व. पप्पू कार्की के अमर गीतों का ही असर है की जहॉ नवम्बर माह में उत्तराखण्ड लोकगीतों और अपनी लोकसंस्कृति के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए उत्तराखंड फिल्म एसोसिएशन की ओर से कुमाऊंनी गीतों के सुप्रसिद्ध लोकगायक स्वर्गीय पप्पू कार्की को मरणोपरांत लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया, और उसके बाद देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें संगीत अलंकरण सम्मान से नवाजा गया, वही अब यंग उत्तराखण्ड सीने अवार्ड में स्वर्गीय पप्पू कार्की को सर्वश्रेष्ठ लोकगायक का अवार्ड प्रदान किया गया। यह अवार्ड उनकी पत्नी कविता कार्की और पुत्र दक्ष कार्की ने शनिवार को दिल्ली में ग्रहण किया।
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बता दे की यंग उत्तराखण्ड सीने अवार्ड की काफी लम्बे समय से ऑनलाइन वोटिंग चल रही थी, जिसमे अलग अलग वर्गों में वोटिंग हुई और शनिवार को परिणाम दिल्ली के शाह ऑडिटोरियम हॉल सिविल लाइन में हुए समारोह में यंग उत्तराखण्ड सीने अवार्ड ( युका) 2019 की घोषणा हुई। बेस्ट गायक का अवार्ड लेने के बाद स्व. लोकगायक पप्पू कार्की की पत्नी कविता कार्की भावुक होते हुए बोली ” यह अवार्ड स्व. पप्पू कार्की के चाहने वालो को समर्पित है , उनकी गायिकी ने हमेशा उत्तराखण्ड की संस्कृति को संजोये रखा है”। अगर बात करे लोकगायक स्वर्गीय पप्पू कार्की की गायिकी की तो उनकी गायिकी में वो बेजोड़ कलाशैली थी जो हर किसी को अपना मुरीद बना दे , और अगर आप उनकी न्योली सुन ले तो फिर आप खुद को भावुक होने से नहीं रोक पाएंगे। लोकगायक स्व. पप्पू कार्की गायिकी के क्षेत्र में सफलता के उस मुकाम पर थे, जहाँ लोगो को पहुंचने में वर्षो लग जाते है, लेकिन ये उनके चाहने वाले लाखो लोगो के लिए खुशी की बात है की आज भी उनके अमर गीतों को सम्मान मिल रहा है।