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रुचिका कंडारी ने अपने मांगल गीत से दिल्ली में लोगो को बना दिया अपना मुरीद

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सोशल मीडिया पर अपनी लाजवाब अभिनय के बदौलत छा चुकी रुचिका कंडारी अपनी सुरमयी और जादुई आवाज से भी लाखो लोगो का दिल जीत चुकी है। उनकी डबमैश वीडियोज ने तो सोशल मीडिया पर ऐसा  धमाल मचाया हुआ है , की हर कोई उनकी अदाकारी का कायल है। वो अब एक नयी उभरती हुई कलाकार के रूप में सामने आ चुकी  इसके साथ ही है एक बेहतरीन अभिनेत्री भी है, जिसकी झलक डॉ.नरेंद्र नेगी के होली गीत में देखने को मिली इसके साथ ही वो काफी गढ़वाली हिंदी फ्यूज़न गीतों में भी काम कर चुकी है जिनमे से सोमेश गौड़ के साथ “ह्युंद का दिना” और “रिमझिम “ में उन्होंने अपनी पेशकश दी।




उत्तराखण्ड के मांगल गीत की बात  करे तो हर शुभ कार्य में उसी गीत  “‘दैंणा हुंय्या, खोलि का गणेशा’ से शुभारंभ होता है। इस मंगल गीत को जब रुचिका कंडारी ने उत्तरायणी कार्यक्रम दिल्ली में अपनी आवाज में पेश किया तो लोग मंत्रमुग्ध हो गए। रुचिका की आवाज में ऐसी बेजोड़ गायनशैली की झलक देखने को मिलती है , जो कही ना कही हमे अपने संस्कृति से जोड़े रखती है। इस से पहले भी रुचिका कंडारी के गढ़वाली हिंदी फ्यूज़न गीत देवभूमि दर्शन पर आर्टिकल के माध्यम से प्रकशित हो चुके है।




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रुचिका का मूल निवास और शिक्षा : रुचिका कंडारी मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली है, और वर्तमान में दिल्ली में ही रहती है, रुचिका की प्राम्भिक पढ़ाई दिल्ली से हुई और आगे की उच्च स्तर की पढाई भी दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की। रुचिका बताती है की उन्हें बचपन से ही अदाकारी और संगीत का बहुत सौक था और उत्तराखण्ड़ के लोकगीतों से काफी प्रेरित हुई है, जिनमे की विशेष कर गढ़ रत्न नरेंद्र नेगी जी के गीत है। रुचिका वर्तमान में श्री राम कला केंद्र से शास्त्रीय संगीत से सम्बंधित कोर्स कर रही है। रुचिका और सोमेश दोनों उत्तराखण्ड़ की संस्कृति और लोकगीतों को दुनियाभर के सामने एक नए अंदाज में लाना चाहते है। दोनों का कहना है की जिस प्रकार उत्तराखण्ड़ के पड़ोसी राज्य पंजाब की संस्कृति आज देश विदेशो में अपना नाम रखती है उसी प्रकार उत्तराखण्ड़ की संस्कृति को भी विश्वस्तर पर लाना चाहते है।




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