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पहाड़ की यादों को समेटे… फिर पहाड़ वापसी करने के लिए कह रहा है ये गीत “तु ऐजा ओ पहाड़”

लोकगायक बीके सामंत (bk samant) लाए हैं रिवर्स पलायन की ओर प्रेरित करता एक खूबसूरत गीत..

पलायन एक ऐसा दर्द जो खाली होते पहाड़ को दर्शाता है , अब उत्तराखंड के लिए तो पलायन एक ऐसा दंश बन गया है जिसने गांव के गांव खाली कर दिए है और पलायन की इसी दर्दभरी पीड़ा को रोकने की अपील लोकगायक बीके सामंत (bk samant) ने अपने गीत ‘तु ऐजा ओ पहाड़’‘ में की है। यह एक ऐसा गीत है जो पहाड़ से पलायन कर चुके लोगों को भावुक कर फिर से अपने घर-गाव की याद दिला देगा। आज हम आपको इसी‌ गीत को सुनाने जा रहे हैं। बता दें कि लोकगायक बीके सामंत, उत्तराखण्ड संगीत जगत में आज एक ऐसा नाम है जिन्होंने बहुत ही कम समय में राज्य के साथ-साथ देश भर में अपने सुपरहिट गीत थल की बजारा से विशेष पहचान बनाई है। सबसे खास बात तो ये है कि उनकी गायिकी का अंदाज ही उनको सबसे अलग बनाता है, यहां तक कि उन्होंने सिर्फ डिजे गीत ही नहीं दिए हैं बल्कि ऐसे गीत भी दिए हैं जो वास्तव में उत्तराखण्ड की धूमिल होती संस्कृति में फिर एक नई जान डाल देती है। जिसमे उनका “यो मेरो पहाड़” गीत एक विशेष स्थान रखता है, और उनका यह नया गीत भी इसी श्रेणी का गीत है।


यह भी पढ़ें- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने किया सुपरस्टार बिके सामंत के… “तू ऐजा ओ पहाड़” गीत का विमोचन

 

देवभूमि दर्शन से खास बातचीत:

 लोकगायक बीके सामंत (bk samant) ने अपनी खाश बात चित में बताया की जो लोग पहाड़ो से पलायन कर चुके है और अब इस स्तर पर है की पहाड़ वापसी कर सकते है , तो वो लोग जरूर आए और अन्य लोगो को भी पहाड़ में किसी स्वरोजगार से जोड़े। इस प्रकार की पहल जरूर कुछ हद तक पलायन को कम कर सकती है। गौरतलब है कि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा इस गीत को रिलीज किया गया था और इसके लिए मुख्यमंत्री ने खुद भी लोकगायक बीके सामंत के इस प्रयास की सराहना भी की थी। श्रीकुवर इंटरटेनमेंट के बैनर तले रिलीज हुआ बीके सामंत का यह नया गीत ‘तु ऐजा ओ पहाड़’‘ पहाड़ के सबसे बड़े दर्द को उजागर करने के साथ-साथ पहाड़ की यादों को भी तरोताजा करता है। बीके सामंत ने इस गीत में जिस तरह से पहाड़ के दर्द को अपने शब्दों में बयां किया है, उससे साफ जाहिर होता है कि शहरों में बसे युवाओं के दिलों में पहाड़ को छोडऩे का कितना दर्द है। गीत में पलायन कर चुके लोगों को संबोधित करते हुए वह कहते हैं तेरे बिना इस पहाड़ की होली-दीवाली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार भी बेकार है। यह गीत अपने शुरुआती बोल ‘तू आंख्यों को काजल, तू ह्यूंद को बादल’ से ही सीधे ह्रदय को छुता हुआ नजर आता है। गीत की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की गीत मात्र 5 दिनों में 1 लाख व्यूज पार कर गया।




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