लोकगायक स्व• पप्पू कार्की एक ऐसा नाम जो देवभूमि के युवाओं में अपनी अमिट छाप छोड़ कर चले गए, जिनके गीतों के युवाओं से लेकर पहाड़ के बुजुर्गो तक सभी दिवाने है। जी हां… लोकगायक पप्पू कार्की अपने गीतों के द्वारा युवाओं में अपनी एक ऐसी अमर छवि बनाकर गए है जिसके कारण ही पहाड़ के सभी उभरते युवा गायक पप्पू कार्की को अपना गुरु मानते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही नन्हे गायक से रूबरू करा रहे हैं जिसने 12 वर्ष की छोटी सी उम्र में पप्पू कार्की के सुंदर गीत को अपनी मधुर आवाज देकर एक बार फिर पप्पू कार्की की यादें ताजा कर दी है। वह नन्ही प्रतिभा कोई और नहीं बल्कि राज्य के पिथौरागढ जिले का रहने वाला 12 वर्षीय तुषार है। जिसने पप्पू कार्की द्वारा गाए सुन्दर कुमाऊनी गीत ‘हो लाली हो लाली होसिया’ को अपनी मधुर आवाज देकर लोगों को सोशल मीडिया और यूटूब पर अपनी मधुर आवाज का मुरीद बना दिया। बताते चले की 12 साल का छोटा बच्चा तुषार अपनी सुरीली आवाज में कुमाऊनी छबीली भी गाता है।
इसमें कोई शक नहीं है कि देवभूमि के हर बच्चे में कोई न कोई प्रतिभा छिपी हुई है बस जरूरत है तो ऐसे बच्चों के हुनर को को निखारने की। आज की युवा पीढ़ी के नन्हे बच्चे इस प्रकार उत्तराखण्ड के लोकसंगीत से जुड़कर अपनी संस्कृति को संजोये हुए है यह उन सभी लोगो के लिए एक सीख है जो कहते है आज की युवा पीढ़ी अपनी पहाड़ी संस्कृति को भूल चुकी है। राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित आयुष म्यूजिक एंड डांस एकेडमी ऐसे ही प्रतिभाशाली बच्चों के हुनर को निखारने का काम करती है। इसी का परिणाम है कि तुषार जैसी नन्ही प्रतिभा आज हमारे सामने है। जिसने लोकगायक पप्पू कार्की के सुप्रसिद्ध गीत को दी अपनी आवाज दी। आज हम आपको इस नन्हे गायक की उसी विडियो से रूबरू करा रहे हैं जिसने एक ओर तो अमर लोकगायक स्व• पप्पू कार्की की यादों को फिर से ताजा कर दिया वही दूसरी ओर एक ओर नन्ही प्रतिभा से समाज को अवगत कराया।