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Uttarakhand Traditional jewelery ornaments of kumaon and garhwal
फोटो: उत्तराखंड अभिनेत्री मिनी उनियाल पारंपरिक आभूषणों में

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देवभूमि दर्शन

Uttarakhand Traditional jewellery: उत्तराखंड के प्रसिद्ध पारंपरिक आभूषण….

Uttarakhand Traditional Jewellery : जानिए उत्तराखण्ड के आभूषणों को, कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक यूं आभूषण बढ़ाते हैं देवभूमि की महिलाओं की शोभा…

उत्तराखंड ना सिर्फ खान पान को लेकर चर्चित है बल्कि ये अपने पहनावा और आभूषणों को लेकर भी देश विदेश में प्रसिद्ध है। यहां के आभूषणों एवं पहनावा में उत्तराखंड की संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है।शुरू से ही उत्तराखंड में महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले आभूषण इस प्रकार आकर्षक रहते थे कि हर कोई देवभूमि की संस्कृति को जानने के लिए आतुर हो उठता है।यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि उत्तराखंड के पुरातन आभूषण ही देवभूमि की पहचान है जिनमे उत्तराखंड की संस्कृति की झलक साफ दिखाई देती है।
वैसे तो पुरातन काल से ही उत्तराखंड में स्त्रियों द्वारा कई प्रकार के आभूषणों को धारण किया जाता था मगर नीचे हम आपको कुछ ऐसे पारंपारिक आभूषणों के बारे में बताएंगे जो उत्तराखंड के आभूषण में विशेष पहचान बनाए रखे हुए हैं और एक समय में काफी प्रचलित हुआ करते थे।
(Uttarakhand Traditional Jewellery)
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उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा सर पर धारण किए जाने वाला पारंपारिक आभूषण(Which jewelry is famous in Uttarakhand?)

(1)माँगटीका (Mangtika):- यह सर पर पहना जाने वाला एक विशेष उत्तराखंडी पारंपरिक आभूषण है जो कि सोने का बना रहता है। यह आभूषण उत्तराखंड के सुहागिनों द्वारा विशेष अवसरों पर जैसे शादी ब्याह आदि खास समारोह में पहना जाता है। यह मांग के बीचो बीच लटकाए जाने वाला सोने का आभूषण है जो आगे से सोने का डिजाइन किया एक गोलाकार पेंडल का बना होता है और इसके पीछे सोने की चेन लगी होती है ।इसे पीछे हुक की सहायता से बालों पर लटकाया जाता है।
(2)शिशफूल (shisphool):- यह भी उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा सर पर पहने जाने वाला एक खूबसूरत पारंपारिक आभूषण है। जो मांगटिका के भांति ही मांग के बीचो – बीच पहना जाता है।मगर ये सर पर मांग के बीचो-बीच से आगे की तरफ दाया और बाया दोनों तरफ लटका होता है। इस पारंपरिक आभूषण को पहनने की परंपरा उत्तराखंड में सदियों से चली आ रही है। उत्तराखंड में इस आभूषण को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है जो सिर्फ विवाहित महिलाओं द्वारा ही धारण किया जाता है। यह भी विशेष अवसरों जैसे शादी समारोह इत्यादि में ही पहना जाता है।
(Uttarakhand Traditional ornaments)
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•उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा नाक पर धारण किए जाने वाले पारंपारिक आभूषण (Traditional ornaments Jewellery worn on the nose by Uttarakhandi women):-

(1)नथ(Nose Ring):- जिसके बिना उत्तराखंड की महिलाओं का सिंगार अधूरा माना जाता है और जो इनकी खूबसूरती पर चार चांद लगाता है वह है उत्तराखंडी नथ। सुहाग का प्रतीक माने जाने वाला उत्तराखंड का यह पारंपारिक आभूषण ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश विदेशों में भी प्रसिद्ध है। नाक में पहने जाने वाला यह आभूषण बेहद खूबसूरत तरीके से डिजाइन किया गया एक गोलाकार छल्ले के सामान होता है जिसे कई प्रकार के सोने के डिजाइन एवं मोरपंखी से सजाया जाता है।इसमें कुछ सेंटीमीटर लंबे सोने के चेन होती है जो इसे हुक को सहायता से बालों में अटकाती है। इसे उत्तराखंड में स्त्रियों द्वारा शादी समारोह एवं पूजा-पाठ जैसे खास मौकों पर पहना जाता है। वैसे तो डिजाइन के आधार पर गढ़वाल और कुमाऊं दोनों की अलग-अलग होती है लेकिन उत्तराखंड में जो सबसे प्रसिद्ध नथ है वह है टिहरी की नथ, जो कि अपने खूबसूरत चित्रकारी के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है।टिहरी की नथ सोने की बनी होती है जिसमें कई मोतिया लगी रहती है जो इसे बेहद खूबसूरत बनाता है।

(2)बुलाक(Bulak):- नथ की भांति ही नाक में पहने जाने वाला पारंपारिक आभूषण दिखने में अंग्रेजी के यू अक्षर जैसा होता है जिस पर कुछ हद तक नक्काशी की हुई होती है। यह आभूषण सोना एवं चांदी दोनों का बना होता है और आकार में लंबा और छोटा दोनों होता है ।गढ़वाल के कुछ हिस्सों में यह आभूषण चांदी की बनी हुई होती है और कुमाऊं के क्षेत्रों में यह सोने का बना होता है। आभूषण का कोई एक फिक्स आकार नहीं है यह सामर्थ्य के अनुसार आकार में छोटी बड़ी हो सकती है। उत्तराखंड के कुछ इलाकों जैसे कुमाऊं और चमोली की महिलाओं द्वारा लंबी बुलाक पहनी जाती है जो कि ठोड़ी तक आती है। बुलाक उत्तराखंड में बहुत प्रचलित पारंपारिक आभूषण है जो शुरवात से ही उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा किसी भी समय पहना जाता है।वर्तमान में इसका प्रचलन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और इसकी जगह फूली या लौंग ने ले ली है।
(Uttarakhand Traditional ornaments)
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•उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा कान में धारण किए जाने वाले आभूषण(Ornaments worn in the ear by Uttarakhandi women):-

(1)मुर्खली(Murkhali):- यह चांदी के बने एक पारंपारिक आभूषण है जो कानों में लंबवत आकार में छेद करके पहने जाते हैं। इनकी संख्या एक कान में 3,5 ,7 होती है अतः यह दोनों कानों में 3,5,7 की संख्या में पहने जाते हैं। इसे पहनने के लिए किसी खास अवसर की आवश्यकता नहीं होती है इसे कभी भी पहना जा सकता है और कानों में ही रखा जा सकता है। यह हल्के हल्के यू आकार के दिखने वाले चौड़े और सामान्य कान की बालियों से लंबे होते हैं। जिस पर हल्की सी चांदी की नक्काशी की रहती है। यह आभूषण पुरातन समय में बहुत अधिक मात्रा में पहना जाता था मगर वर्तमान में इसका प्रचलन बिल्कुल समाप्त हो चुका है जिसकी जगह वर्तमान कुंडल या झुमके ने घेर लिया है।
(2)कर्णफूल(Ear flower):- यह पारंपारिक आभूषण महिलाओं द्वारा कान में पहना जाता है जो कि दिखने में बेहद खूबसूरत होता है और जिस पर सोने की बेहद खूबसूरत नक्काशी की रहती है। यह कुमाऊं तथा गढ़वाल दोनों क्षेत्र की महिलाओं द्वारा पहना जाता है। यह दिखने में फूल के समान होता है जो कि संपूर्ण कान को ढक देता है। ऊपर से यह है बिल्कुल मोर के पंख के आकार का बना होता है जिसके नीचे एक सुंदर बाली लटका दी जाती है।यह सोने का होता है और यह दिखने में कान के ऊपरी हिस्सा में हल्के से यू आकार का होता है जिसके नीचे से बाली होती है।
(3)कुंडल/ तुग्याल (Kundal / Tugyal):- यह भी कानों में पहने जाने वाला एक प्रकार की सोने का पारंपारिक आभूषण है जो गोल, हलके, लंबे और चपटे कई आकारों के होते हैं।इसे बालियां, तुग्याल, कुंडल तुंगल आदि कई नामों से जाना जाता है।यह उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा हर दिन पहने जाने वाले आभूषण हैं। इस पर विशेष प्रकार की डिजाइन एवं चित्रकारी की होती है जो इसे बेहद खूबसूरत बनाता है और साथ ही इस पर सोने की नक्काशी के साथ-साथ मोर पंख इत्यादि भी बनाए जाते हैं जिस पर लाल और हरे रंग के छोटे छोटे पत्थरों को डिजाइन करके इनपर बेहद खूबसूरत मीणा कारीगरी भी की जाती है।
(Uttarakhand Traditional  Jwellery)
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उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा गले में धारण किए जाने वाले पारंपरिक आभूषण (Traditional neck ornaments worn by Uttarakhandi women):-

(1)हंसूली(Cheekbones):- इसे स्थानीय भाषा में हासुल, हसुला इत्यादि भी कहा जाता है।यह गले में पहने जाने वाला चांदी का एक गोल कड़ा है जो काफी वजनदार एवं मोटा और भारी-भरकम होता है।जिसका भार 20 तोले से लेकर 50 तोले तक होता है। चांदी का बना आभूषण किसी जमाने में उत्तराखंडी महिलाओं की शान थी जिसे सगाई एवं शादी के दिन पहना जाता था यह उत्तराखंड का बेहद खास पारंपरिक आभूषण है जो आज भी बेहद लोकप्रिय है। मगर वर्तमान प्रचलन और बढ़ते समय के साथ इसकी जगह धीरे-धीरे चांदी सोने की अन्य मालाओं ने ले ली है।

(2)गुलबंद या गुलूबंद (pahadi Guluband or Guloband):- यह उत्तराखंड में सुहागिन एवं विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एकपट्टी नुमा आभूषण है जिसे उत्तराखंडी लोगों द्वारा विशेष अवसरों और सबसे अधिक सगाई पर पहना जाता है। यह है एक लाल रंग की समतल पट्टी पर लगभग 1 तोले से लेकर 3 तोले तक सोने के चपटे आकार के डिजाइन किए गए टुकड़ों द्वारा बनाया जाता है। इसमें 10 से 12 तक चौकोर आकार के डिजाइन किए गए स्वर्ण पत्र, मखमल या सनील के चौड़े पट्टे पर लगे होते हैं। जो दिखने में बेहद खूबसूरत होता है। यह पट्टे नुमा आकार का होता है जो एकदम गले पर चिपका रहता है। यह पारंपरिक आभूषणों उत्तराखंड में सुहाग का प्रतीक माना जाता है।

(3)सिक्कों की माला(Garland of coins):- यह चांदी के सिक्कों से बनी एक बेहद खूबसूरत उत्तराखंडी पारंपारिक आभूषण है जिसे पुरातन समय में उत्तराखंड की महिलाओं द्वारा खूब पहना जाता था। इसे चवन्नी की माला, अठन्नी की माला इत्यादि नाम से भी जाना जाता है। इसे लाल धागे को मोड़कर इस पर सिक्के लगाकर तैयार किया जाता है। इस आभूषण में चांदी के लगभग 22 सिक्के होते हैं जिसमें एक तरफ 11 तथा दूसरे तरफ भी 11 सिक्के लगाकर पूरी माला तैयार की जाती है
(4)चंद्रहार या चंदौली (Chandrahar or Chandauli):- यह गले में पहने जाने वाला चांदी का एक पारंपरिक आभूषण है जो दिखने में चांद की तरह प्रतीत होता है। जिस कारण इसे चंद्रहार का जाता है।यह कई चांदी के चेनों से मिलकर बना होता है जो दिखने में गोलाकार और लंबा होता है।
(5) चर्यो/ चर्-यो – (charyo / char-yo):- यह गले में पहना जाने वाला एक सोने का आभूषण है। जो सोने के साथ-साथ छोटे छोटे आकार के लाल एवं काली दानों और धागे का मिश्रण है। यह तीनों के इस्तेमाल से बनाया जाता है जिसमें सबसे नीचे डिजाइन किया हुआ चपटा आकर का सोना लगा होता है जिस पर खूबसूरत नक्काशी की हुई रहती है। इसके दोनों साइड लाल एवं काले दानों रंग की मालाओं की मोटी पट्टी होती है जिन्हें संख्या छोटी-छोटी काले एवं लाल दाने होते हैं।इसे ऊपर से धागे की सहायता से बांधकर माला का आकार दिया जाता है।उत्तराखंड में यह सुहाग की निशानी होती है जिसे शादी के दिन पहना जाता है और यह सिर्फ सुहगानियों द्वारा पहना जाता है। इस आभूषण को उत्तराखंड में सुहगानियों द्वारा गले से उतारना अशुभ माना जाता है।वर्तमान में इसकी जगह मंगलसूत्र ने ले लिया है।
(Uttarakhand Traditional ornaments )
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•उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा हाथों में धारण किए जाने वाले आभूषण (Jewelery worn by Uttarakhandi women on their hands):-

(1)धागुली या धागुल(Dhagul or Dhagul):- यह उत्तराखंड का हाथ में पहने जाने वाला चांदी का पारंपारिक आभूषण है यह अत्यधिक वजन वाला और आकार में मोटा चांदी का कड़ा होता है जिसे हाथ में चूड़ी जैसा पहना जाता है यह साधारण गोल और आकार में हलका मोटा होता है जिस पर कहीं-कहीं चांदी की सुंदर नक्काशी की हुई डिजाइन होती है।

(2)पौंची या पौंछी(Paunchi or Paunchi):- यह हाथों में पहने जाने वाला एक पारंपारिक आभूषण है जिसे गुलबंद की ही भांति कपड़े की पट्टी पर तैयार किया जाता है। इसे उत्तराखंड में विवाहित महिलाओं द्वारा हाथों में पहना जाता है। 2 से 5 तोले का वजन वाला यह हाथों का डिजाइन युक्त कड़ा है जिसे सोने के छोटे-छोटे शंको के आकर के दानों का प्रयोग कर मोटा आकार दिया जाता है। यह पारंपारिक आभूषण उत्तराखंड के कुमाऊनी क्षेत्र में बेहद प्रचलित है। जिसे विवाह के समय बिटिया बहू को दिया जाता है।
(Uttarakhand Traditional ornaments )

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•उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा कमर में धारण किए जाने वाले पारंपरिक आभूषण (Traditional waist ornaments worn by Uttarakhandi women):-

(1)तागड़ी, तगड़ी या कमरबंद(Strong, Tight or Waistband):-
यह विशेष अवसरों पर उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला एक कमर का आभूषण है। जो प्राय चांदी का बना होता है ।यह कमर के बीचो बीच में दोनों तरफ पहने जाने वाला गोलाकार आभूषण है जो चांदी के कई चेनों से मिलकर बना होता है।इसे कमर पर बेल्ट की तरह गोलाकार रूप में बांधा जाता है।
(Uttarakhand Traditional ornaments )
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•उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा पैरों में धारण किए जाने वाला पारंपरिक आभूषण (Traditional jewelery worn by Uttarakhandi women on their feet):-

(1)•झाँवर / झवारी (Jhawar / Jhawari):- यह चूड़ी के आकार का चांदी का कड़ा होता है जिसे पैरों में पहना जाता है। इसे अंदर से खोखला रखा जाता है और इसके अंदर चांदी के छोटे-छोटे पत्थर और छोटे-छोटे बीज डाले जाते हैं ताकि चलते समय इसे मधुर ध्वनि उत्पन्न हो सके। एक समय में उत्तराखंड में यह काफी प्रचलन में था और लगभग सभी के द्वारा पायल की भांति ही पैरों में पहना जाता था पहना जाता था। मगर यह पायल से काफी मोटा और बिल्कुल हाथों में पहने जाने वाला चांदी के कड़े जैसा होता है। जिस पर चांदी की हल्की सी नक्काशी की होती है।
तो यह थे उत्तराखंड की पहचान कहलाने वाले आभूषण जो कि सुंदर और अन्य राज्यों से भिन्न होने के कारण उत्तराखंड राज्य को देश विदेश में अलग पहचान देते हैं।मगर वर्तमान मैं उत्तराखंड के ये पारंपारिक आभूषण विलुप्ति की ओर बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि इनकी जगह धीरे धीरे तरह तरह से डिजाइन किए गए वर्तमान आभूषणों ले रहे हैं।
(Uttarakhand Traditional ornaments)

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