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alt="Crpf deputy commandent Purushottam Joshi of uttarakhand get Most excellent service award"

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उत्तराखंड: सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट पुरूषोत्तम को मिलेगा अति उत्कृष्ट सेवा पदक

Crpf deputy commandent Purushottam Joshi: देवभूमि उत्तराखंड के लिए गौरवशाली पल, पिथौरागढ़ जिले के पुरूषोत्तम जोशी अति उत्कृष्ट सेवा पदक के लिए चयनित, 27 जुलाई को मिलेगा पुरस्कार..

उत्तराखण्ड के वाशिंदे अपने बुलंद हौसलों के दम पर देश-विदेश में राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं। बात देशसेवा की करें तो उत्तराखण्ड के लोगों के सेनाप्रेम से आज हर कोई वाकिफ हैं। जब भी देश या समाज पर कोई संकट आया है देवभूमि के इन सपूतों ने अपनी वीरता और साहस से उसका सामना करते हुए दुश्मन का सर धड़ से अलग कर मां भारती का गौरव बढ़ाया है। इसके लिए देवभूमि के ऐसे वीर सपूतों को अनेक सम्मानों से भी नवाजा गया है, जिसमें वीरता पदक सहित सैनिकों को दिए जाने वाले न जाने कितने पुरस्कार सम्मिलित हैं। आज हम आपको राज्य के एक ऐसे ही वीर बहादुर बेटे से रूबरू कराने जा रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट पुरूषोत्तम जोशी (Purushottam Joshi) की, जिनका चयन अति उत्कृष्ट सेवा पदक के लिए हुआ है। बता दें कि पुरूषोत्तम को यह पुरस्कार सीआरपीएफ के स्थापना दिवस पर 27 जुलाई को प्रदान किया जाएगा। उनकी इस उपलब्धि से पूरे क्षेत्र में हर्षोल्लास का माहौल है क्षेत्रवासियों का कहना है कि पुरूषोत्तम ने एक बार फिर राज्य का गौरव बढ़ाया है।
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महिला नक्सली को ढेर कर दो घायलों की जान बचाने के लिए पुरूषोत्तम को 2012 में भी मिला था वीरता पुरस्कार:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के पिथौरागढ़ जिले के जाजरदेवल निवासी पुरुषोत्तम जोशी पुत्र स्व. लीलाधर जोशी सीआरपीएफ में डिप्टी कमांडेंट के पद पर कार्यरत हैं। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में स्थित सीआरपीएफ के केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान में है तथा उनका परिवार हल्द्वानी की इंदिरा कालोनी, कठघरिया में रहता है। बता दें कि डिप्टी कमांडेंट पुरूषोत्तम का चयन अति उत्कृष्ट सेवा पदक के लिए हुआ है। उन्हें 27 जुलाई को सीआरपीएफ के स्थापना दिवस के मौके पर इस पदक से नवाजा जाएगा। बताते चलें कि वर्ष 2012 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक से सम्मानित किया गया था। उस समय वीरता पदक पाने वाले वह उत्तराखण्ड के पहले सीआरपीएफ बने थे। डिप्टी कमांडेंट को यह वीरता पदक एक नक्सली महिला को ढेर कर दो घायलों को सुरक्षित बचाने एवं 25 अन्य नक्सलियों को पकड़ने के लिए दिया गया था। वीरता पदक के साथ-साथ पुरूषोत्तम क‌ई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुके हैं।

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