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IAS DM VANDANA SINGH

उत्तराखण्ड

पिथौरागढ़

डीएम वंदना रह चुकी हैं पिथौरागढ़ में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की जिला एम्बेसेडर

अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल के दौरान आईएएस वंदना ने पिथौरागढ़ वासियों पर छोड़ी अपनी कार्यशैली की अमिट छाप, ग्रामीण महिलाओं से था विशेष लगाव..

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल यह नाम सुनकर आपके दिलो-दिमाग में जो सकारात्मक छवि बन जाती है वहीं छवि रूद्रप्रयाग जिले की नई जिलाधिकारी वंदना का नाम सुनकर सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के ग्रामीणों में उभरती है। वैसे देखा जाए तो दोनों ही आईएएस अधिकारियों में काफी समानताएं हैं जहां मंगेश ने अपने कार्यकाल के दौरान रूद्रप्रयाग जिले के निवासियों के लिए अथाह परिश्रम किया, न‌ई-न‌ई कार्ययोजनाए चलाई वहीं पिथौरागढ़ जिले की मुख्य विकास अधिकारी रहते हुए यही काम वंदना ने भी किया। पिथौरागढ़ के गांव-गांव में वंदना ने अपनी कार्यों की ऐसी छाप छोड़ी कि आज भी हर ग्रामीण उन्हें याद करता है। उनके प्रति ग्रामीणों की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्रामीण महिलाओं के लिए तो वो सदैव उनके परिवार का हिस्सा रहीं। अक्टूबर 2017 में पिथौरागढ़ के सीडीओ का पदभार संभालने के बाद उन्होंने गांव-गांव में अपनी पकड़ बनाने के साथ ही गरीब ग्रामीणों के लिए कार्ययोजनाएं बनाने की हरसंभव कोशिश की, जिसमें वो काफी हद तक सफल भी रही।


यह भी पढ़ें:- रुद्रप्रयाग की तीसरी महिला आईएएस डीएम होंगी वंदना, 24 साल में पा लिया था आईएएस का मुकाम

पिथौरागढ़ में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान (beti bachao beti padhao yojana) की डिस्ट्रिक्ट एम्बेसेडर भी रही वंदना, सीडीओ रहते हुए महिला सशक्तिकरण के लिए भी किए बेमिसाल कार्य:-

बता दें कि रूद्रप्रयाग की जिलाधिकारी बनने जा रही वंदना सिंह चौहान वर्तमान में पिथौरागढ़ जिले की मुख्य विकास अधिकारी होने के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ (beti bachao beti padhao yojana) अभियान की जिला एम्बेसेडर थी। अपने कार्यकाल के दौरान वंदना ने न सिर्फ बेटियों की मदद के लिए अथक प्रयास किए बल्कि उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी क‌ई न‌ए आयाम स्थापित किए। जिनमें महिला स्वयं सहायता समूहों को सक्रिय एवं सशक्त करने में उन्होंने विशेष योगदान दिया। इतना ही नहीं उन्होंने गांव-गांव जाकर महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित कर आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित किया। वह ग्रामीण महिलाओं के बीच जाकर न केवल उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करती बल्कि उनकी समस्याएं जानकर उनका निवारण करने का हरसंभव प्रयास करती। सीडीओ रहते हुए वंदना ने क‌ई राष्ट्रीय पुरस्कार जीतकर शासन-प्रशासन को भी अपनी कार्यशैली की ओर आकर्षित किया, यही कारण है कि वंदना को प्रमोशन के तौर पर रूद्रप्रयाग जिले की इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। जब भी उनसे उनकी इस ईमानदार कार्यशैली के बाबत पूछा गया तो उनका सादगी भरा एक ही ज़बाब रहता कि वो कुछ अलग नहीं करती, ऐसा हर कोई अधिकारी कर सकता है, बस उनमें गरीबों के लिए कुछ करने की ललक होनी चाहिए।


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