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Hemant Pandey of Nainital Uttarakhand discovered the medicine for white spots, researched for 10 years in DRDO

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड समेत गौरवान्वित हुआ समूचा देश देवभूमि के हेमंत पांडेय ने की सफेद दाग की दवा की खोज

Hemant Pandey: उत्तराखंड के हेमंत पांडे ने किया सफेद दाग(White Spots)  की दवा का खोज DRDO में 10 वर्षों से किया शोध

आज अगर देवभूमि उत्तराखंड की सफलता और विकास के चर्चे चारों ओर है इसका कारण जहां एक ओर यहां की पौराणिक, धार्मिक एवं मनमोहक वादियां है तो दूसरी ओर यह यहां के होनहार वाशिंदों की कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि आज लगभग सभी क्षेत्रों में उत्तराखण्ड का नाम किसी ना किसी रूप में आ ही जाता है। यही कारण है कि वर्तमान में देश-विदेश में देवभूमि उत्तराखंड की बातें होती रहती है। आज फिर ‌समूचे उत्तराखण्ड के साथ ही देश को गौरवान्वित करने वाली एक खबर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से सामने आ रही है जहां कार्यरत राज्य के एक होनहार वाशिंदे ने पहली बार सफेद दाग(White Spots) की दवा इजात करने का मुकाम हासिल किया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के रहने वाले डॉक्टर हेमंत पांडेय(Hemant Pandey) की, जिन्होंने दस वर्ष के कठिन शोध के बाद 2011 में पहली बार सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) की दवा खोजकर देश-दुनिया को एक नायाब तोहफा दिया था। यही कारण है कि उनकी इस‌ अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए वर्ष 2020 में उन्हें साइंटिस्ट आफ द ईयर का पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
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बता दें कि मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के मझेड़ा गांव निवासी डाक्टर हेमंत पांडे की गिनती आज देश-विदेश के उन सफलतम वैज्ञानिकों में होती है जिन्होंने अपनी नई-न‌ई खोज के दम पर न केवल देश-दुनिया को गम्भीर रोगों के उपचार की नई औषधि के बारे में बताया है बल्कि उनकी इन खोजों के कारण गंभीर बिमारियों का इलाज भी सहज एवं संभव हो गया है। बताते चलें कि अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पहाड़ से ही प्राप्त करने वाले हेमंत ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा से बीएससी और डीएसबी परिसर से आर्गेनिक केमिस्ट्री में एमएससी की उपाधि प्राप्त की है। तदोपरांत गढ़वाल विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद उनका चयन डीआरडीओ में बतौर वैज्ञानी के रूप में हुआ था। जहां उनका स्वागत यह कहकर किया गया कि एक ऐसी दवा बनाई जानी है, जिसका इलाज अभी तक नहीं है। जी हां यह दवा सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा या श्वेत कुष्ठ) की थी। हेमंत ने इस चुनौती को गंभीरता से स्वीकारते हुए दिन-रात परिश्रम कर लगातार दस वर्षों तक जड़ी बूटियों पर शोध कर इस बीमारी की आयुर्वेदिक दवा खोज ली।
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