एनएसए अजीत डोभाल परिवार के साथ पहुंचे अपने पहाड़ पौड़ी तो ग्रामीणों ने ढोल दमो से किया स्वागत
उत्तराखण्ड से जितने भी बड़े अधिकारी और अफसर है चाहे आप आर्मी चीफ बिपिन रावत की बात करे या एनएसए अजीत डोभाल की दोनों का ही अपने पहाड़ की संस्कृति से प्रेम इसी बात से झलकता है की आज भी उच्च पदों पर कार्यरत होकर अपने पहाड़ से जुड़े हुए है , और ये एक सन्देश भी जाता है उन सभी लोगो के लिए जो पहाड़ से स्थायी तौर पर पलायन कर चुके है और पहाड़ में आना जाना ही बंद कर चुके है। बता दे की भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अपनी पत्नी और बेटे के साथ शुक्रवार को निजी दौरे पर मंडल मुख्यालय पौड़ी पहुंचे। यहाँ से वो शनिवार सुबह अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे। एनएसए डोभाल के गांव पहुंचने की सूचना से ग्रामीण खासे उत्साहित हैं। गांव में पहुंचने पर ग्रामीणों ने ढोल दमऊ के साथ उनका स्वागत किया। यहां वह कुलदेवी बाल कुंवारी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। वैसे निजी कार्यक्रम के चलते उनके पौड़ी जिला मुख्यालय पहुंचने की जानकारी को गोपनीय रखा गया था। पौड़ी पहुंचने पर एनएसए का सर्किट हाउस में आयुक्त गढ़वाल डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्बयाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर ने उनका स्वागत किया। डीएम धीरज सिंह ने बताया कि एनएसए का यह निजी कार्यक्रम है।
अजीत डोभाल को ‘भारत का जेम्स बांड’ कहा जाता है : बता दे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले शासन काल में पहली बार एनएसए बनने के बाद भी वर्ष 2014 में वे निजी कार्यक्रम पर अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचकर कुलदेवी की पूजा-अर्चना की थी। एनएसए ने तब ग्रामीणों से भी मुलाकात की थी। बताते चले की जनपद पौड़ी की बनेलस्यूं पट्टी स्थित घीड़ी गांव में 20 जनवरी 1945 को जन्मे अजीत डोभाल वर्ष 1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। 972 में भारत की खुफिया एजेंसी आईबी से जुड़ने के बाद उन्होंने कई ऐसे खतरनाक कारनामों को अंजाम दिया है, जिन्हें सुनकर जेम्स बांड के किस्से भी फीके लगने लगते हैं। वे भारत के एकमात्र ऐसे नागरिक हैं, जिन्हें सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान पाने वाले वह पहले पुलिस अधिकारी हैं। इसलिए अजीत डोभाल को ‘भारत का जेम्स बांड’ कहा जाता है।