Chamoli news today: गर्भवती महिला को ठंडी-ठंडी में रखकर 2 किमी पैदल चलकर सड़क तक पहुंचे ग्रामीण, फिर ले गए 45 किमी दूर देवाल अस्पताल…
Chamoli news today: उत्तराखण्ड में भले ही बड़े बड़े मंचों से जनसभाओं को संबोधित करते हुए हमारी सरकारों, पक्ष-विपक्ष के नेताओं द्वारा पहाड़ में विकास के कसीदे पढ़े जाते हों, विधानसभा में पहाड़ की बात करने वाले जनप्रतिनिधियों पर सत्तारूढ़ नेताओं की भौंहें टेढ़ी हो जाती हों परंतु इसकी बानगी धरातल से लगातार सामने आने वाली पीड़ादायक खबरों में देखते ही बनती है। इन खबरों को देखते हुए हकीकत तो यही है कि पृथक पर्वतीय राज्य बनने के बावजूद आज भी पहाड़ों में बुनियादी सुविधाओं सड़क शिक्षा और स्वास्थ्य का बेतहाशा अभाव है। राज्य के चमोली जिले के देवाल क्षेत्र से आ रही इस दुखद खबर ने एक बार फिर पहाड़ की जमीनी हकीकत बयां की है। जहां वाण ग्राम पंचायत के भीड़िंग तोक में गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने न केवल डंडी-कंडी का सहारा लिया बल्कि करीब दो किलोमीटर पैदल चलकर सड़क पर पहुंचने के उपरांत 45 किमी दूर स्थित देवाल अस्पताल पहुंचाया। यह भी पढ़ें- Uttarakhand hospital: पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, अस्पतालों में 80% डॉक्टरों की कमी
chamoli live news today अभी तक मिल रही जानकारी के मुताबिक राज्य के चमोली जिले के देवाल विकासखंड के वाण ग्राम पंचायत का भीड़िंग गांव पृथक पर्वतीय राज्य बनने के 25 साल बाद भी न तो सड़क मार्ग से जुड़ पाया है और ना ही यहां आसपास कोई अस्पताल है। ऐसे में ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। बीते रविवार को गांव में ही रहने वाली भारती देवी को प्रसव पीड़ा हुई। परंतु गांव में सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने डंडी-कंडी के सहारे भारती देवी को दो किमी दूर सड़क तक पैदल पहुंचाया। यहां भी ग्रामीणों की समस्या कम नहीं हुई क्योंकि आसपास कोई अस्पताल ना होने के कारण भारती को उपचार नहीं मिल पाया। जिस कारण उसे निजी वाहन से 45 किमी दूर देवाल अस्पताल पहुंचाया गया। जहां उसका उपचार चल रहा है। वो तो गनीमत रही कि इस 47 किमी के सफर में करीब 4-5 घंटे बीतने के बावजूद कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, अन्यथा एक और हृदयविदारक खबर हमारी सरकारों द्वारा 25 सालों में किए गए पहाड़ों के विकास के दावों पर करारा तमाचा मारती।
deval chamoli latest news आपको बता दें कि कई बार ऐसी आपातकालीन घटनाओं में जच्चा बच्चा एवं बीमार लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है। ये हालत तब है जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ये दशक उत्तराखण्ड का होने का दावा कर रहे हैं। अब प्रधानमंत्री मोदी, उत्तराखण्ड के किस दशक की बात कर रहे हैं ये तो उनकी ट्रिपल इंजन की सरकार या भगवान ही जाने। इस संबंध में गांव के हीरा सिंह गढ़वाली ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि भीड़िंग गांव तक 3 किमी सड़क स्वीकृत तो हुई है परन्तु आज तक सड़क का कार्य भी शुरू नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि वाण गांव नंदा राजजात यात्रा का अंतिम बसागत गांव है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये हालत तब भी है जब बीते दिनों ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी उत्तराखण्ड सरकार की पीठ थपथपाते हुए उत्तराखण्ड में बारहमासी पर्यटन, घाम तापों पर्यटन के सपने दिखाकर गए हैं जबकि वेदनी बुग्याल, मोनाल टॉप, रूपकुंड ट्रैक का बेस कैंप गांव होने के कारण वाण गांव में हर साल हजारों पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर यहां एक एएनएम सेंटर और एकमात्र आयुर्वेदिक चिकित्सालय है और लोगों को प्राथमिक उपचार के लिए भी 45 किमी दूर देवाल जाना पड़ता है। यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: पहाड़ की बदहाली, महिला ने नदी किनारे दिया जुड़वां बच्चों को जन्म, एक की मौत