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उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में भालू का आतंक ,कर दिया तीन लोगो को बुरी तरह घायल



उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में गुलदार का आतंक थमा ही था की जंगली भालू ने अपना आतंक शुरू कर ग्रामीणों में दहशत फैला दी है। राज्य में खेती के दुश्मन बन चुके इन जानवरों का शिकार अब देवभूमि के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग बन रहें हैं। अभी तक राज्य के लोग अपनी फसलों को जानवरों से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करते थे, अधिकांश लोगों ने तो इस नुकसान से परेशान होकर खेती करना ही छोड़ दिया। जगह-जगह दिखाई देते बंजर खेत इसका प्रमाण है। परन्तु अब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को खुद के साथ-साथ अपने परिवार के सदस्यों के प्राणों को इन जानवरों से बचाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है, जो कि काफी चिंता का विषय है। अब यह कहना ग़लत नहीं होगा कि राज्य में पलायन का प्रमुख कारण लोगों को परेशान करने वाला यह जानवर है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार जानवरों के हमले का शिकार अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकासखंड के तीन युवक हुए हैं। भालू के हमले से गम्भीर रूप से घायल हुए ये तीनों ही युवक सल्ट विकासखंड के ग्राम कोटली तल्ली के रहने वाले हैं।




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बता दें कि ग्रामीणों पर जानवरों द्वारा हमला करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। अपितु इससे पहले भी राज्य के कई ग्रामीण इन जानवरों के हमले का शिकार हो चुके हैं। अभी कुछ दिन पहले ही चम्पावत जिले के रौसाल क्षेत्र का एक ग्रामीण प्रीतम राम भी भालू के हमले से गम्भीर रूप से घायल हो गया था। जिसका अभी भी बरेली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। बताते चले की अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकासखंड के क‌ई गांवों में इन दिनों भालू का आतंक छाया हुआ है। इन गांवों में कोटली तल्ली, सौकती, निझौड़ा, चमोड़ी आदि गांव शामिल हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोटली तल्ली के रहने वाले तीन युवकों को बुधवार 30 जनवरी की शाम करीब 4 बजकर 50 मिनट पर भालू ने हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया था। हमले में तीनों घायलों के चेहरे सहित शरीर के अन्य हिस्सों में गम्भीर चोटें आई हैं। गम्भीर रूप से घायल कमल सिंह, कैलाश मौलेखी और बालादत्त को इलाज के लिए हल्द्वानी रेफर किया गया है। जहां उनका अभी भी इलाज चल रहा है। भालू के द्वारा एक साथ तीन युवकों को घायल करने से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। क्षेत्र के ग्रामीण अब शाम के समय घर से बाहर निकलने में भी डर रहे हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से हिंसक भालू को जल्द से जल्द पकड़ने की मांग की है।




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महिलाओं का चारा लाना, बच्चों का स्कूल जाना हुआ मुश्किल
भालू के आतंक से एक ओर जहां क्षेत्र की महिलाओं का चारा और लकड़ी लाने के लिए जंगल जाना मुश्किल हो गया है, वहीं दूसरी ओर जंगल के रास्ते विद्यालय के साथ-साथ अन्य स्थानों पर आवाजाही करने वाले स्कूली बच्चों तथा अन्य लोगों के जान का खतरा बना हुआ है। क्षेत्र के ग्रामीण दिन के समय भी डर-डर कर घर से बाहर निकल रहे हैं।
प्रधान संगठन के अध्यक्ष गोपाल सिंह रावत और श्याम सिंह भण्डारी कहते हैं कि भालू के आतंक के चलते क्षेत्र में डर एवं अफरातफरी का माहौल है। ग्रामीणों का शाम के समय घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। गांव के छोटे बच्चों को अकेले इधर-उधर भेजने में भी उनकी जान का खतरा बना रहता है।




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