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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड युवाओं के लिए पहाड़ जाना सपना बन चुका था लेकिन सोनू सूद ने फरिश्ता बनकर पहुंचाया घर

ढाई महीने से फंसे थे मुम्बई में, बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद (Sonu Sood) ने देवदूत बनकर पहुंचाया देहरादून

कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा और ऐसा ही सहारा इन दिनों बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद (Sonu Sood) उन प्रवासियों के लिए बने हुए हैं जो लाकडाउन के कारण बीते ढाई महीने से महाराष्ट्र में फंसे हैं। अब तक न जाने कितने गरीब प्रवासियों की सकुशल वापसी करा चुके सोनू सूद ने हाल ही में उत्तराखंड के प्रवासियों को भी ढाई घंटे में महाराष्ट्र से देहरादून पहुंचा दिया इनमें से अधिकांश लोग ऐसे थे जो पहली बार हवाई जहाज में बैठे थे। इन्हीं लोगों में पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले दो युवा भी शामिल हैं, जो देहरादून पहुंचने के बाद सोनू सूद की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। जी हां.. हम बात कर रहे हैं दीपक कन्याल और ललित तिवारी की, जो पिछले ढाई महीने से मुम्ब‌ई में फंसे हुए थे। इन दोनों का कहना है कि घर लौटने की व्यवस्था ना होने के कारण वो मार्च से कमरे में बंद थे, पास में ही धारावी का वह क्षेत्र था, जहां हर दिन कोरोना संक्रमित मिल रहे थे, जो उनके साथ ही परिजनों की दिल की धड़कन बढ़ा रहे थे। इतना ही नहीं कमरे में पड़े-पडे़ वह मानसिक तनाव का भी शिकार हो रहे हैं। इस सबके बावजूद उन्होंने घर आने का हरसंभव प्रयास किया परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ, ऐसी मुश्किल घड़ी में सोनू सूद एक देवदूत बनकर हमारे सामने आए और मददगार बनकर हमें उत्तराखण्ड पहुंचाया।


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कौथिग फाउंडेशन के जगजीवन कन्याल से लगाई थी मदद की गुहार, उन्होंने ही सोनू सूद तक पहुंचाई दोनों युवाओं की आवाज:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट क्षेत्र के किरोली निवासी दीपक कन्याल और दूनाकोट निवासी ललित तिवारी को बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद (Sonu Sood) ने मददगार बनकर बीते शनिवार को मुम्बई से देहरादून भिजवाया। जहां वह सात दिन का क्वारंटीन पीरियड पूरा करने के बाद अपने घर को रवाना होंगे। देहरादून पहुंचने पर दीपक और ललित ने जहां सोनू सूद को मदद के लिए धन्यवाद कर रहे हैं वहीं उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। बता दें कि दीपक मरीन पोर्ट में जबकि ललित किसी अन्य कंपनी में काम करता थे और लॉकडाउन के कारण ये दोनों पिछले ढाई महीने से कमरे में ही बंद थे। ललित बताते हैं कि जिस क्षेत्र में उनका कमरा था वहां से मुंबई का धारावी क्षेत्र नजदीक ही था, जहां एक-एक व्यक्ति के संक्रमित होने की खबर न सिर्फ उनकी धड़कन बढ़ा देती थी बल्कि वह मानसिक रूप से परेशान भी हो ग‌ए थे। उन्होंने घर आने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ थक हारकर उन्होंने कौथिग फाउंडेशन के जगजीवन कन्याल से मदद मांगी। युवाओं का कहना है कि जगजीवन ने भी उन्हें निराश न करते हुए सोनू सूद तक उनकी समस्या पहुंचाई और सोनू सूद ने दोनों की फ्लाइट की टिकटें बुक कराई और उन्हें विमान से उत्तराखंड भेजा।


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