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Uttarakhand Government Happy Independence Day
Tribute paid to martyr Rakesh Doval of Uttarakhand in Srinagar, now the body left for the ancestral home

Uttarakhand Martyr

उत्तराखण्ड

ऋषिकेश

श्रीनगर में दी गई उत्तराखंड के शहीद राकेश को श्रद्धांजलि, अब पार्थिव शरीर पैतृक घर की ओर रवाना

देश के वीर सपूत शहीद(Martyr) राकेश डोभाल(Rakesh Doval) को बीएसएफ के अधिकारियों ने श्रीनगर (Srinagar)में दी अंतिम विदाई..

बीते शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के बारामूला के नौगाम सेक्टर में एल‌ओसी पर मां भारती की रक्षा में पाकिस्तान की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले देश के वीर सपूत शहीद (Martyr) सब इंस्पेक्टर राकेश डोभाल(Rakesh Doval) को आज श्रीनगर (Srinagar) में बीएसएफ के अधिकारियों द्वारा अंतिम श्रृद्धांजलि दी गई। इस दौरान बीएसएफ के जवानों ने मातमी धुन बजाकर अपने बहादुर साथी को अंतिम विदाई दी। इस दौरान शहीद एस‌आई राकेश की शहादत को नमन करते हुए बीएसएफ के आईजी कश्मीर राजेश मिश्रा ने कहा कि हमें सब इंस्पेक्टर राकेश की शहादत पर गर्व है। उन्होंने कहा कि शहीद होने से पहले राकेश ने नौगाम सेक्टर में डटकर पाकिस्तानी गोलीबारी का मुकाबला किया। उनके इसी अदम्य साहस, बहादुरी और पराक्रम को बीएसएफ सलाम करती है। उन्होंने यह भी कहा कि शहीद राकेश का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। सीमा पर भारतीय सेना और बीएसएफ पाकिस्तान की इन नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दे रही है। श्रीनगर में शहीद को आखिरी सलामी देने के बाद अब शहीद राकेश के पार्थिव शरीर को बीएसएफ के अधिकारियों द्वारा उनके घर की ओर रवाना कर दिया गया है।
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घर पर शहीद राकेश की मां और पत्नी हो रहे हैं बार-बार बेसुध, पिता की शहादत से बेखबर दस वर्षीय मासूम दित्या को नहीं पता अब फोन पर नहीं सुनाई देगी पिता की आवाज:-

गौरतलब है कि मूल रूप तीर्थनगरी ऋषिकेश के गणेश विहार गंगानगर निवासी राकेश डोभाल बीएसएफ की आर्टिलरी रेजिमेंट में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे। वर्तमान में उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर के बारामूला के नौगांव सेक्टर में थी। जहां बीते शुक्रवार को पाकिस्तान की ओर से किए गए सीजफायर उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब देते हुए एक गोली उनके सर पर लगी और वह गम्भीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल में उपचार के दौरान उन्होंने वीरगति प्राप्त की। उनकी शहादत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। घर पर उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। 2004 में बीएसएफ में भर्ती हुए देश के वीर सपूत राकेश डोभाल की शहादत की खबर से ही जहां उनकी मां विमला देवी और पत्नी संतोषी बार-बार बेसुध हो रही है वहीं अन्य परिजनों की आंखों से भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। शहीद की दस वर्षीय बेटी दित्या तो अभी तक इस दुखद खबर से बेखबर है। वह तो घर पर उमड़‌ रही भीड़ को बस एकटक आंखे लगाए देख रही है। उसे नहीं पता कि अब फोन पर उसके पिता की आवाज कभी नहीं सुनाई देगी। आस-पड़ोस के लोग शहीद के परिजनों को सांत्वना देने की कोशिश तो कर रहे हैं परन्तु फूल सी मासूम बेटी दित्या को देख वे खुद की आंखों से आंसू भी नहीं रोक पा रहे हैं।

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