कुमाऊंनी कविता- पहाड़ की सुन….kavita Punetha poem
पहाड़ की सुन
सुन मेरा पहाड़ की
यो बात कुन रयो लाख की
छोड़ गया जो तुम योंक हैग्यो यो उदास
कभे आला आपनी बाखली यो रेगये आस
कस भला गाड़ हुन्छ कस शुवान भीड़
मोल थें एक गोरु हुन्छ, रात्ते ब्याल करनी डुडआत्
हरा ग्यान सब खेल
का हून रयो अब आमा बबू दगारा मेल
कती ठुल् हुन भए बाखली, छाड़ ग्यू छा जेस खाली
देवी देवता उन भया जागर मा
अब तुम सब भाग गयौ छ भाभर मा
सुन मेरा पहाड़ की
यो बात कूं रयो लाख की।
रचना-कविता पुनेठा, खड़ी बाजार, बागेश्वर (उत्तराखण्ड)
kavita Punetha poem
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देवभूमि दर्शन मीडिया उत्तराखंड लोक-संस्कृति भाषा – बोली और लोक परंपरा को बढ़ावा देने हेतु एक पहाड़ी कविता प्रतियोगिता कुमाऊनी गढ़वाली एवं जौनसारी में आयोजित करवाने जा रहा है। कविता उत्तराखंड के किसी भी मुद्दे पर हो सकती है अथवा लोक संस्कृति और लोक परंपरा पर भी आधारित हो सकती है लेकिन स्वरचित होनी चाहिए। आपकी यह कविता आपके नाम से हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित होगी और उसका लिंक आपके साथ भी साझा किया जाएगा।
आप दिनांक 17 से 24 तक अपनी कविताएं हमें अपने पते, फोटो और संपर्क सूत्र के साथ मेल आईडी : [email protected]
अथवा व्हाट्सएप:
+917455099150
पर भेज सकते हैं।
रिजल्ट:
इस प्रतियोगिता का परिणाम 30 जनवरी को आएगा। काव्य संकलन प्रभाग के निर्णायक समिति का निर्णय सर्वमान्य होगा।
प्रथम विजेता को उपहार:-
2 हजार+ गिफ्ट हैंपर।
द्वितीय विजेता को
1 हजार+ गिफ्ट हैंपर
तृतीय विजेता को
गिफ्ट हैंपर
देवभूमि दर्शन मीडिया
(काव्य संकलन प्रभाग)