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उतराखण्ड: पिथौरागढ़ पिरूल प्लांट से बिजली उत्पादन हुआ शुरू, यूपीसीएल खरीद रहा बिजली

Uttarakhand pirul plant: पहाड़ में पिरूल से बिजली बनाने के लिए लगे संयंत्र से उत्पादन हुआ शुरू, पांच दिन में बनी 550 यूनिट से अधिक बिजली..

अब तक व्यर्थ समझे जाने वाले चीड़ की पत्तियां यानी पिरूल अब राज्य की आर्थिकी बढ़ाने के साथ ही युवाओं को रोजगार देती नजर आ रही है। जहां एक ओर पहाड़ के युवा और महिलाएं पिरूल से राखी आदि बेशकीमती उत्पाद बनाकर स्वरोजगार की दिशा में नया कदम बढ़ा रहे हैं वहीं राज्य सरकार जगह-जगह पिरूल से बिजली उत्पादन के संयंत्र (Uttarakhand pirul plant) लगा कर अपनी आर्थिकी स्थिति मजबूत कर रही है। इतना ही नहीं प्रत्येक संयंत्र में 14-15 स्थानीय युवाओं को भी प्रत्यक्ष रोजगार दिया जा रहा है। इसी के अंतर्गत राज्य के पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट में लगी पहली यूनिट ने पिरूल से विद्युत उत्पादन भी शुरू कर दिया है। बीते पांच दिनों में इस प्लांट से 550 यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन किया जा चुका है। पिरूल से उत्पादित यह बिजली उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) को 7.54 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेची जा रही है। बता दें कि पिरूल से विद्युत उत्पादन कर रहा यह कुमाऊं मंडल का तीसरा जबकि राज्य का चौथा संयंत्र है। सरकार ने पिथौरागढ़ जिले में ही इस तरह के चार संयंत्र स्वीकृत किए हैं।
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डेढ़ किलो पिरूल आसानी से उत्पादित कर देता है एक यूनिट बिजली, 14 युवाओं को प्रत्यक्ष रूप से मिल रहा रोजगार:- प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट तहसील के चौबाटी क्षेत्र में लगे पिरूल से बिजली बनाने वाले संयंत्र में विद्युत उत्पादन शुरू हो चुका है। उद्यमी दिवान सिंह मेहता द्वारा स्थापित इस संयंत्र से बीते पांच दिनों में 550 यूनिट से अधिक बिजली उत्पादित की गई है। इसके साथ ही 14 स्थानीय युवाओं को भी इसमें रोजगार मिला है और सैकड़ों ग्रामीण भी लाभान्वित हो रहे हैं। बताया गया है कि इस संयंत्र का उद्घाटन बीते 25 जुलाई को क्षेत्र के विधायक विशन सिंह चुफाल ने किया। जिसके बाद से ही यहां बिजली का उत्पादन शुरू हो गया हालांकि दो दिन भारी बारिश होने से पिरूल गिला हो गया था जिस कारण बिजली नहीं बन पाई। उद्यमी दीवान सिंह मेहता का कहना है कि इस संयंत्र को लगाने की लागत 25 लाख रुपए है, यदि इसे पिरूल की अधिकता वाले क्षेत्रों में लगाया जाए तो इससे भविष्य में निश्चित ही अधिक मात्रा में बिजली उत्पादित होगी और सैकड़ों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। वह यह भी कहते हैं कि डेढ़ किलो पिरूल से एक यूनिट बिजली आसानी से उत्पादित होती है। चौबाटी में भी पिरूल काफी मात्रा में पाया जाता है।

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