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उत्तराखंड के जवान महेंद्र का कोलकाता में अकस्मात निधन, सैन्य सम्मान के साथ हुई अंत्येष्टि

कोरोना के भय से जवान (uttarakhand soldier) के पार्थिव शरीर को गांव नहीं ले गए परिजन, खुद रामेश्वर घाट पर पहुंचकर अंतिम संस्कार..

बीएस‌एफ में तैनात उत्तराखण्ड के जवान (uttarakhand soldier) के अकस्मात निधन की दुखद खबर कोलकाता से आ रही है। बताया गया है कि मृतक जवान राज्य के पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले थे और अकस्मात तबीयत बिगड़ जाने से उन्होंने अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड दिया। जवान के अकस्मात निधन की खबर से परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। कोरोना के कारण मृतक जवान का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव भी नहीं पहुंच पाया। उनका गांव सड़क से काफी दूर होने के कारण परिजनों ने मृतक के पार्थिव शरीर को बिना घर ले जाए, सीधे स्थानीय रामेश्वर घाट पर ही जवान का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। रामेश्वर घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ हुए मृतक के अंतिम संस्कार में केवल उनके पिता, सभी भाई तथा जमाई ही उपस्थित हो पाएं। बताते चलें कि मृतक जवान के पिता बीएस‌एफ के सेवानिवृत्त अधिकारी है। मृतक जवान अपने पीछे पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे के साथ भरा-पूरा परिवार छोड़कर ग‌ए है।


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क्वारंटीन होने के डर से कोई भी वाहन चालक परिजनों को नहीं ले गया रामेश्वर घाट, मृतक जवान की पत्नी भी है स्कूल में क्वारंटीन:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के पिथौरागढ़ जिले के मूनाकोट विकासखंड के क्वारबन गांव निवासी महेंद्र सिंह पुत्र कल्याण सिंह बीएसएफ की 179 बटालियन में तैनात थे। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग पश्चिमी बंगाल में थी, जहां उनका ट्रांसफर कुछ महीने पहले ही देहरादून से हुआ था। बताया गया है कि बीते 23 म‌ई को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन्होंने कोलकाता के सेना अस्पताल में दम तोड दिया। मृतक जवान (uttarakhand soldier) के अकस्मात निधन की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। बता दें कि मृतक की पत्नी अपने तीन बच्चों सहित देहरादून में रहती है तथा दो दिन पहले ही अपने गांव पहुंची हैं, जिस कारण उन्हें गांव के एक स्कूल में क्वारटीन किया गया है। मृतक का गांव सड़क से काफी दूर होने के कारण परिजनों ने महेंद्र का अंतिम संस्कार सीधे रामेश्वर घाट पर करने का फैसला किया परंतु क्वारंटीन होने के डर से कोई भी वाहन चालक परिजनों को रामेश्वर घाट नहीं ले गया। पार्थिव शरीर घर ना आने से मृतक के सभी परिजन उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाए लेकिन उनके पिता कल्याण, मृतक के भाई त्रिलोक सिंह, मदन सिंह एवं पवन सिंह तथा जमाई अनिल चौहान ने जैसे-तैसे रामेश्वर घाट पहुंचकर मृतक जवान का अंतिम संस्कार किया।


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